Thursday, July 31, 2025
20.1 C
London

श्रीमद्भागवत कथा का 7वां दिन: कथा सुनने से मन की व्यथा होती है दूर: रजनीश महाराज

वृन्दावन :हरिदास ने जानकारी देते हुए कहा रजनीशजी महाराज की वृन्दावन में प्रेम मंदिर के सामने गिरिराज सेवा सदन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा सप्तम दिवस विश्राम हुआ सप्तम दिवस में उन्होंने श्रीकृष्ण विवाह लीला, वृंदावन की महिमा, सुदामा चरित्र, 24 गुरुओं की कथा आदि सुनाई। सत्संग की महिमा सुनते उन्होंने कहासत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है
मनुष्य के जीवन मे अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब मनुष्य के जीवन मे सत्संग नही होता . मनुष्य जीवन को जीता चला जा रहा है लेकिन मनुष्य ईस बारे मे नही सोचता की जीवन को कैसे जीना चाहिये.
मनुष्य ने धन कमा लिया, मकान बना लिया, शादी घर परिवार बच्चे सब हो गये, गाडी खरीद ली. ये सब कर लेने के बाद भी मनुष्य का जीवन सफल नही हो पायेगा क्योकि जिसके लिए ये जीवन मिला उसको तो मनुष्य ने समय दिया ही नही ओर संसार की वस्तुएं जुटाने मे समय नष्ट कर दिया !
जीवन मिला था प्रभु का होने ओर प्रभु को पाने के लिए लेकिन मनुष्य माया का दास बनकर माया की प्राप्ति के लिए ईधर उधर भटकने लगता है ओर ईस तरह मनुष्य का ये कीमती जीवन नष्ट हो जाता है जिस अनमोल रतन मानव जीवन को पाने के लिए देवता लोग भी तरसते रहते है उस जीवन को मनुष्य व्यर्थ मे गवां देता है. देवता लोगो के पास भोगो की कमी नही है लेकिन फिर भी देवता लोग मनुष्य जीवन जीना चाहते है क्योकि मनुष्य देह पाकर ही भक्ति का पुर्ण आनंद ओर भगवान की सेवा ओर हरि कृपा से सत्संग का सानिध्य मिलता है.
संतो के संग से मिलने वाला आनंद तो बैकुण्ठ मे भी दुर्लभ है. कबीर जी कहते है की
राम बुलावा भेजिया , दिया कबीरा रोय
जो सुख साधू संग में , सो बैकुंठ न होय !रामचरितमानस मे भी लिखा है की –
तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरि तुला एक अंग।
तुल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग।
हे तात ! स्वर्ग और मोक्ष के सब सुखों को तराजू के एक पलड़े में रखा जाये ते भी वे सब सुख मिलकर भी दूसरे पलड़े में रखे हुए उस सुख के बराबर नहीं हो सकते, जो क्षण मात्र के सत्संग से मिलता है। सत्संग की बहुत महिमा है सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है ओर साथ साथ चरित्र को सुधारता भी है!
सत्संग से मनुष्य को जीवन जीने का तरीका पता चलता है सत्संग से ही मनुष्य को अपने वास्तविक कर्यव्य का पता चलता है.
मानस मे लिखा है की –
सतसंगत मुद मंगल मुला,
सोई फल सिधि सब साधन फूला
अर्थातद सत्संग सब मङ्गलो का मूल है. जैसे फुल से फल ओर फल से बीज ओर बीज से वृक्ष होता है उसी प्रकार सत्संग से विवेक जागृत होता है ओर विवेक जागृत होने के बाद भगवान से प्रेम होता है ओर प्रेम से प्रभु प्राप्ति होती है जिन्ह प्रेम किया तिन्ही प्रभु पाया –
सत्संग से मनुष्य के करोडो करोडो जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है.
सत्संग से मनुष्य का मन बुद्धि शुद्ध होती है
सत्संग से ही भक्ति मजबुत होती है!
एक घडी आधी घडी आधी मे पुनि आध
तुलसी संगत साध की हरे कोटि अपराध
श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक भुवनेश्वर राय, अनसूया राय
श्रीमद् भागवत कथा में महंत राम सेवक, रास बिहारी, अर्जुन पूरी दास, विनय कुमार, हिरा लाल बालगोबिन, केशव सिंह, सभी भक्तगण, विप्रजन, संतजन शामिल हुए।

 

ई खबर मीडिया के लिए देव शर्मा की रिपोर्ट

Hot this week

सीतापुर में आवास योजना पर संग्राम: शिकायत करने पर युवक से मारपीट, जांच में उलझा मामला

सीतापुर जिले के सदरपुर थाना क्षेत्र के बकहुआ बाजार...

दरभंगा से भाई-बहन लापता, परिजनों ने लगाई मदद की गुहार

दरभंगा जिले के हायाघाट थाना क्षेत्र के रसलपुर गांव...

बीमारी ने छीनी जिंदगी की रफ्तार, अब मदद की दरकार: बलराम दुबे ने लगाई आर्थिक सहायता की गुहार

जौनपुर (उत्तर प्रदेश) मिसरौली गांव निवासी बलराम दुबे आज...

Topics

दरभंगा से भाई-बहन लापता, परिजनों ने लगाई मदद की गुहार

दरभंगा जिले के हायाघाट थाना क्षेत्र के रसलपुर गांव...

गायब पति की तलाश में भटक रही पत्नी, पुलिस में दर्ज हुई गुमशुदगी

सोनभद्र जिले के शाहराज थाना क्षेत्र के विनौली निवासी...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img