जिले के ग्राम परासी क्षेत्र में स्थित सोन नदी में वन संसाधन समिति करनी द्वारा रेत का अवैध उत्खनन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। स्थानीय निवासियों के मुताबिक, प्रतिदिन 20 से 30 ट्रिप रेत का उत्खनन हो रहा है, और प्रत्येक ट्रिप के लिए ₹300 की वसूली की जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह पूरी तरह अवैध है, और समिति अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है।
वन संसाधन समिति पर गंभीर आरोप
वन संसाधन समिति का दायित्व वनों की अवैध कटाई को रोकने और प्रशासन को सूचना देने का है। लेकिन इसके उलट, समिति पर आरोप है कि वह सोन नदी सहित अन्य नदियों से रेत का अवैध उत्खनन कर रही है। यह अवैध गतिविधि उनके लिए मोटी कमाई का जरिया बन गई है।
ग्रामीणों को धमकाया जा रहा है
जब ग्रामीणों ने इस अवैध कार्य का विरोध किया और समिति को रोकने का प्रयास किया, तो उन्हें धमकियां दी गईं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि समिति ने अपने अधिकार का दुरुपयोग कर उनकी आवाज दबाने की कोशिश की है।
प्रशासन और विभाग पर सवाल
इस मामले ने प्रशासन और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार ने अवैध उत्खनन रोकने के लिए सख्त नियम बनाए हैं, लेकिन उनका पालन करवाने में पूरी तरह असफलता दिख रही है। खनिज विभाग और वन विभाग के अधिकारी दोषियों पर कोई ठोस कदम उठाते नजर नहीं आ रहे।
राजस्व और पर्यावरण को नुकसान
अवैध उत्खनन से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान हो रहा है। साथ ही, नदियों का पारिस्थितिकी तंत्र भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। अवैध रेत माफिया न केवल स्थानीय क्षेत्र में, बल्कि मध्यप्रदेश तक रेत भेज रहे हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को रेत की बढ़ती कीमतों के कारण घर बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या होगी कार्रवाई?
ग्रामीणों और पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रशासन को इस पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। खनिज विभाग, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को मिलकर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि इस अवैध कार्य को रोका जा सके।
यह मामला प्रशासन की विफलता और नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में कमी को उजागर करता है। यदि समय रहते इस पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इससे राजस्व हानि और पर्यावरणीय क्षति का संकट और गहराएगा।
ई खबर मीडिया के लिए सूरज कुमार की रिपोर्ट