बिहार के बेगूसराय जिले के सुजा भर्रा गांव का एक मजदूर परिवार इस वक्त गहरे संकट में है। मुन्ना, जो बेंगलुरु में मजदूरी कर परिवार का पेट पालता है, उसकी 21 वर्षीय पत्नी कंचन कुमारी अपने प्रेमी राहुल के साथ फरार हो गई। सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि कंचन अपने 3 साल के मासूम बेटे को भी साथ ले गई।
चोरी कर गई भरोसा और सपने
मुन्ना ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि कंचन आखिरी बार मुजफ्फरपुर से यशपुर जाने वाली ट्रेन में देखी गई थी। खगड़िया जिला के पास पहुंचे ट्रेन में उसे समय मैंने कहा कि तुम्हारी मम्मी मर गई है ट्रेन से उतर जाओ, फिर कंचन बोली कि मेरे परिवार वाले नहीं चाहते कि मैं तुम्हारे साथ रहूं इसलिए परिवार वालों ने मुझे पता नहीं चलने दिया। इसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं है। कंचन का मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ आ रहा है। कंचन न केवल परिवार को छोड़ गई, बल्कि घर से सोने के जेवर और 15,000 रुपये का महंगा मोबाइल भी लेकर चली गई।
मुन्ना का कहना है कि उनकी पत्नी की इस हरकत ने उन्हें आर्थिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया है। उन्होंने रोते हुए कहा, “मेरी पत्नी और बच्चा किस हाल में होंगे, मैं सोच-सोचकर मर रहा हूं।”
पुलिस ने दिखाई बेरुखी
मुन्ना ने स्थानीय पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें इंसाफ तो दूर, सुनवाई तक नहीं मिली। उन्होंने बताया, “जब मैं अपनी फरियाद लेकर पुलिस के पास गया, तो उन्होंने मेरी बात सुनने के बजाय मुझे भगा दिया। हमारी समस्या पर किसी का ध्यान नहीं है।”
बेंगलुरु में बेबस है परिवार
मुन्ना ने बताया कि वे बेंगलुरु में मजदूरी करते हैं और वहां की भाषा भी उन्हें ठीक से नहीं आती। इस अनजान शहर में, जहां पहले से ही जीवन कठिन था, अब पत्नी और बेटे की चिंता ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया है।
आम जनता से मदद की अपील
मुन्ना ने मीडिया के माध्यम से जनता से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, “जो भी मेरी पत्नी और बच्चे की जानकारी दे सके, कृपया इन नंबरों पर संपर्क करें: 7250626210 और 9014515532। मैं जीवन भर उनका आभारी रहूंगा।”
सवालों के घेरे में पुलिस प्रशासन
यह घटना स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। क्या एक आम मजदूर की फरियाद इतनी कमजोर है कि उसे सुनने वाला कोई नहीं? पुलिस की बेरुखी और कंचन के इस कदम ने न केवल एक परिवार को तोड़ा है, बल्कि समाज में नैतिकता और इंसाफ पर भी गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।
मुन्ना की इस दयनीय स्थिति ने समाज को झकझोर दिया है। क्या कोई उनकी मदद के लिए आगे आएगा? या यह परिवार इसी तरह टूटता रहेगा?