नवादा, बिहार – बिहार के नवादा जिले के विजय नगर गांव में 2008 में हुए एक हत्या कांड का मामला 16 साल बाद भी न्याय की राह देख रहा है। मृतक संजय राजवंशी की भाभी पिंकी देवी और उनके परिवार के अन्य सदस्य आज भी आरोपी संजय यादव और उसके सहयोगियों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
मामला 2008 का है, जब विजय नगर गांव में रात करीब 9 बजे एक विवाद हुआ। बताया जाता है कि सरकारी योजना के तहत गरीबों के लिए लगाई गई सौर ऊर्जा लाइट को संजय यादव, मोरे लाल यादव, जवाहर जाटव, दिल्ली जाटव समेत 10 लोगों ने मिलकर खोल लिया। यह साजिश गांव के सरपंच गोपाल सिंह की सहमति से रची गई थी।
जब यह लोग सोलर लाइट खोल रहे थे, तब गांव के प्रभु राजवंशी ने उन्हें ऐसा करते देख लिया। इसी बीच, संजय राजवंशी वहां पहुंचे, लेकिन उन्हें इस झगड़े की कोई जानकारी नहीं थी। रास्ते से गुजरते समय संजय यादव और मोरे लाल यादव ने उन पर गोली चला दी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
गांव वालों ने की गिरफ्तारी की कोशिश, लेकिन सरपंच ने बचाया आरोपी
हत्या के बाद जब गांव वालों को घटना का पता चला, तो वे आरोपियों संजय यादव और गौर यादव को पकड़कर पुलिस के हवाले करना चाहते थे। लेकिन सरपंच गोपाल सिंह ने बीच में आकर मामले को दबा दिया और आरोपियों को बचा लिया। बाद में, सरपंच गोपाल सिंह की भी हत्या हो गई।
परिवार का आरोप – अब भी मिल रही हैं धमकियां
मृतक संजय राजवंशी के भाई करू राजवंशी (जो वर्तमान में दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल में रहते हैं) और अनिल राजवंशी (गांव में रहते हैं) का कहना है कि 16 साल बीत जाने के बावजूद, उन्हें अब तक न्याय नहीं मिला है। परिवार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि वे इस मामले को आगे न बढ़ाएं।
पिंकी देवी, जो संजय राजवंशी की भाभी हैं और अपने पति देव राजवंशी के साथ एक ईंट भट्ठे पर मजदूरी करती हैं, का कहना है कि केस लड़ते-लड़ते परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका है।
सरकार से न्याय की गुहार
परिवार का आरोप है कि इस पूरे मामले में पुलिस और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं। जिन लोगों ने इस घटना को अपनी आंखों से देखा, वे डर की वजह से गवाही देने से बच रहे हैं।
पिंकी देवी और उनका परिवार बिहार सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है। उनका कहना है कि प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों को सख्त सजा दिलाए। साथ ही, परिवार को सुरक्षा और आर्थिक सहायता दी जाए, ताकि वे सुरक्षित जीवन व्यतीत कर सकें।
क्या सरकार और प्रशासन उठाएंगे कोई कदम?
16 साल से चल रहा यह मामला न्यायिक व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अगर समय रहते सही कार्रवाई हुई होती, तो शायद पीड़ित परिवार को आज भी इंसाफ के लिए भटकना नहीं पड़ता।
अब देखना होगा कि सरकार और कानून व्यवस्था इस मामले में कोई ठोस कदम उठाते हैं या फिर यह केस भी अन्य अनसुलझे मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।