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अनुकंपा नियुक्ति के लिए एक बेटी का संघर्ष: कब मिलेगा न्याय?

महाराष्ट्र के बीड जिले के परळी वैजनाथ की रहने वाली मिना सुर्यभान फड अपने स्वर्गीय पिता की अनुकंपा नियुक्ति और पेंशन के हक के लिए पिछले कई वर्षों से संघर्ष कर रही हैं। नगर परिषद और सरकार के तमाम दफ्तरों के चक्कर लगाने के बावजूद अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है। उनका कहना है कि अगर 7 अप्रैल 2025 तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे मुंबई के मंत्रालय के सामने आमरण अनशन करेंगी।

क्या है मामला?

मिना सुर्यभान फड के पिता सुर्यभान निवृत्ती फड परळी नगर परिषद में शिपाई (चपरासी) के पद पर कार्यरत थे। 26 अप्रैल 2008 को उनका आकस्मिक निधन हो गया। सरकारी नियमों के अनुसार, किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके परिवार के किसी एक सदस्य को अनुकंपा आधार पर नौकरी दी जाती है और परिवार को पेंशन तथा अन्य लाभ मिलते हैं।

परिवार के तीन वारिस थे, लेकिन…

सुर्यभान फड के निधन के बाद उनके परिवार में उनकी पत्नी विजयमाला सुर्यभान फड, बेटी मिना सुर्यभान फड और सावत्र बेटा धनंजय सुर्यभान फड थे। कोर्ट द्वारा तीनों को वारिस माना गया।

मिना और उनकी मां ने सावत्र भाई धनंजय सुर्यभान फड को अनुकंपा नियुक्ति पर नौकरी दिए जाने की सहमति दी, लेकिन शर्त रखी कि बदले में पेंशन और अन्य कर्मचारी लाभ उन्हें मिलने चाहिए।

मां के निधन के बाद और भी मुश्किलें बढ़ीं

1 जनवरी 2025 को मिना की मां विजयमाला सुर्यभान फड का निधन हो गया। अब परिवार में मिना ही इकलौती वारिस हैं। लेकिन 17 साल बीत जाने के बाद भी उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य कर्मचारी लाभ नहीं मिले।

नगर परिषद के दफ्तरों के चक्कर और प्रशासन की लापरवाही

मिना सुर्यभान फड ने 17 जनवरी 2025 को नगर परिषद में आवेदन देकर अपने हक की मांग की। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब वे नगर परिषद जाती हैं, तो अधिकारी टालमटोल कर देते हैं और फाइल आगे नहीं बढ़ती।

“मैंने कई बार नगर परिषद के चक्कर लगाए, लेकिन हर बार सिर्फ बहाने बनाए जाते हैं। अधिकारी कहते हैं कि मामला लंबित है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाल रहा। मैं अब पूरी तरह आर्थिक तंगी में हूं।” – मिना सुर्यभान फड

सरकार से गुहार, अनशन की चेतावनी

थक-हारकर मिना ने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराया है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे को पत्र भेजा और मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की।

“अगर 7 अप्रैल 2025 तक मुझे न्याय नहीं मिला, तो मैं मुंबई के मंत्रालय के सामने आमरण अनशन करूंगी। अगर इस दौरान कोई भी अप्रिय घटना होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी नगर परिषद प्रशासन और महाराष्ट्र सरकार की होगी।” – मिना सुर्यभान फड

क्या सरकार देगी न्याय?

यह मामला प्रशासन की लापरवाही और सुस्त कार्यप्रणाली को उजागर करता है।

अगर सरकारी कर्मचारी के परिवार को अनुकंपा आधार पर नौकरी और पेंशन मिलनी चाहिए, तो मिना सुर्यभान फड को उनका हक क्यों नहीं मिला?

क्यों नगर परिषद की फाइलें 17 साल से धूल खा रही हैं?

क्या एक बेटी को अपने पिता की मेहनत की कमाई के लिए भीख मांगनी पड़ेगी?

अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाती है। क्या मिना को उसका हक मिलेगा या फिर उसे अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरना ही पड़ेगा?

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