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NSG कमांडो पर जातिसूचक गालियों के साथ हमला, लात-घूंसों से की गई पिटाई, पुलिस कार्रवाई की मांग

पिलखुवा, हापुड़ – देश की सुरक्षा में तैनात जवान भी अब सुरक्षित नहीं हैं! ताजा मामला उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के थाना पिलखुवा क्षेत्र का है, जहां भारतीय सेना के NSG कमांडो नकुल कुमार पर जातिसूचक गालियों के साथ जानलेवा हमला किया गया। चार हमलावरों ने मिलकर रात्रि करीब 9:30 बजे लात-घूंसों और थप्पड़ों से जमकर पिटाई की, जिससे जवान गंभीर रूप से घायल हो गया।

छुट्टी पर घर आए जवान पर हमला

पीड़ित नकुल कुमार, जो परतापुर रोड ग्राम मिरापुर स्थित बाला जी मंदिर के पास रहते हैं, ने बताया कि वह 12 मार्च को ही अपनी ड्यूटी से 8:30 बजे परिवार सहित छुट्टी लेकर घर आये थे। लेकिन उसी रात उनकी जिंदगी में एक भयानक मोड़ आ गया।

रात के सन्नाटे में एक अज्ञात आई-10 कार घर के बाहर आकर रुकी। उसमें सवार चार लोग शराब के नशे में धुत थे। उनमें से एक युवक कार से बाहर निकला और घर के सामने ही पेशाब करने लगा। जब नकुल कुमार ने इस गंदी हरकत का विरोध किया तो मामला तूल पकड़ गया।

जातिसूचक गालियां और बर्बर पिटाई

आरोप है कि अमन पुत्र महेश निवासी ग्राम परतापुर, थाना पिलखुवा, हापुड़, ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर जवान को जातिसूचक गालियां देना शुरू कर दिया। विरोध करने पर चारों हमलावरों ने नकुल कुमार पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। लात-घूंसों और थप्पड़ों से उनकी बेरहमी से पिटाई की गई।

पीड़ित जवान ने बताया कि हमलावर बेहद आक्रामक थे और जान से मारने की धमकी दे रहे थे। मारपीट के दौरान उन्होंने कई बार जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। और नकुल ने उन्हें समझाया परंतु वह नहीं समझे उल्टा उन्होंने नकुल पर ही जान लेवा हमला कर दिया और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया।

गंभीर चोटें और न्याय की गुहार

हमले में नकुल कुमार को गंभीर चोटें आई हैं। घटना के बाद उन्होंने तत्काल थाना पिलखुवा पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज कराई और हमलावरों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की।

पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक सभी आरोपी फरार बताए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने NSG जवान पर हुए इस हमले की कड़ी निंदा की है और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सवाल उठता है – क्या वर्दीधारी भी अब असुरक्षित हैं?

यह घटना न केवल देश के वीर जवानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि जातिवादी मानसिकता के जहर को भी उजागर करती है। अगर एक राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) कमांडो को ही सरेआम पीटा जा सकता है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या हाल होगा?

अब देखने वाली बात होगी कि क्या पुलिस आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर जवान को न्याय दिला पाएगी, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

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