एटा, उत्तर प्रदेश। थाना सकरोली क्षेत्र के गवालीग्रा गांव की रहने वाली बबली देवी की आपबीती सुनकर किसी का भी दिल दहल जाए। एक महिला, जिसने 9 साल पहले अपने सपनों को सजा कर रॉकी कुमार से शादी की, आज न्याय के लिए दर-दर भटक रही है। तीन मासूम बेटियों के साथ बबली एक ऐसी ज़िंदगी जी रही है, जहाँ न तो छत की सुरक्षा है और न ही समाज की सहानुभूति।
बबली देवी ने मीडिया के माध्यम से अपनी कहानी बताते हुए रोते हुए कहा कि उसका पति रॉकी कुमार, जो गया प्रसाद का बेटा है, उसे और बेटियों को छोड़कर नंदसार के एके गांव में दूसरी शादी रचा रहा है। वो बिना तलाक दिए, बिना ज़िम्मेदारी उठाए, एक और ज़िंदगी बसाने में मस्त है। लेकिन उसका दर्द यहीं नहीं रुकता।
देवर की गंदी हरकतें और ससुरालवालों की क्रूर सोच
पति के जाते ही बबली का देवर अनिल उसके लिए जीते जी नरक बना चुका है। बबली का कहना है कि अनिल उसे आए दिन गंदी-गंदी गालियां देता है, रात के अंधेरे में कमरे में घुसने की कोशिश करता है और जबरदस्ती संबंध बनाने का दबाव डालता है। यह सुनकर कोई भी स्तब्ध रह जाएगा कि बबली की सास और ससुर भी अनिल का पूरा साथ दे रहे हैं।
“तेरे पास तीन लड़कियां हैं, एक लड़का भी हो सकता है…”
बबली का कहना है कि उसके सास-ससुर उससे कहते हैं, “अगर तू इसके साथ संबंध बना लेगी तो क्या पता चौथ लड़का हो जाए!” एक औरत की इज्जत को इस कदर कुचला जा रहा है, मानो वो सिर्फ एक बच्चा पैदा करने वाली मशीन हो।
सड़क किनारे चाउमिन-ऑमलेट की ठेली पर ज़िंदगी
बबली देवी आज अपनी तीन बेटियों का पेट पालने के लिए सड़क किनारे अंडा और चाउमिन बेच रही है। उसने कहा, “मैं दिनभर तपती धूप में रेडी लगाकर काम करती हूं, ताकि मेरी बेटियां भूखी न रहें। कोई कमाने वाला नहीं है, न मायके से मदद मिल रही है और न ही सरकार की तरफ से।”
थाने में रिपोर्ट दर्ज, फिर भी कोई कार्यवाही नहीं!
बबली ने सकरोली थाने में पूरे मामले की लिखित शिकायत दी है। लेकिन उसकी फरियाद को आज तक सिर्फ कागजों में दबा दिया गया है। ना कोई पुलिस अधिकारी आया, ना कोई पूछताछ हुई और ना ही कोई सुरक्षा उपाय किए गए।
मीडिया के ज़रिए बबली की आखिरी अपील
बबली देवी ने कहा, “अगर कल को मुझे या मेरी बेटियों को कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार मेरा पति रॉकी कुमार, देवर अनिल और सास-ससुर होंगे। मैं प्रशासन से हाथ जोड़कर निवेदन करती हूं कि मुझे सुरक्षा दी जाए, मेरे साथ न्याय हो और आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचें।”
क्या एक महिला की आवाज़ तब ही सुनी जाएगी, जब वो खामोश कर दी जाएगी?