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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना: उत्तराखंड के विकास का नया द्वार

ऋषिकेश, 17 अप्रैल
2025: उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक नई ब्रॉड गेज (बीजी) रेल लाइन परियोजना तेजी से आकार ले रही है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल तीर्थयात्रियों के लिए सुगम यात्रा सुनिश्चित करेगी, बल्कि राज्य के पिछड़े क्षेत्रों के विकास, औद्योगिक प्रगति और पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। यह रेल लाइन देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली जैसे पांच जिलों को जोड़ेगी, जिसमें देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग जैसे महत्वपूर्ण शहर शामिल हैं।

परियोजना का महत्व
125 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन का उद्देश्य यात्रा के समय और लागत को काफी हद तक कम करना है। यह परियोजना उत्तराखंड के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देगी। स्थानीय हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही पर्यटन उद्योग को भी नया बल मिलेगा। यह रेल लाइन अलकनंदा नदी के किनारे बसे प्रमुख कस्बों को जोड़ेगी, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

तकनीकी नवाचार और विशेषज्ञता
हिमालय की दुर्गम भौगोलिक संरचना और जटिल भूवैज्ञानिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, इस परियोजना में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) के लिए विश्व की सबसे उच्च रिज़ॉल्यूशन (50 सेमी) वाली सैटेलाइट इमेजरी, यूएस वर्ल्ड व्यू-2 (डब्ल्यूवी-2) का उपयोग किया गया। इसके माध्यम से 2.5 किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर में उच्च सटीकता (≈2 मीटर) वाला डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) तैयार किया गया, जो गूगल अर्थ से कहीं अधिक उन्नत है।
परियोजना की जटिलता को देखते हुए, रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया। इस समिति में पूर्व रेलवे बोर्ड अध्यक्ष श्री एम. रविंद्रा, ऑस्ट्रिया की जियोकंसल्ट के टनल विशेषज्ञ डॉ. जे. गोल्शर और अंतरराष्ट्रीय पुल विशेषज्ञ डॉ. वी.के. रैना शामिल थे। इन विशेषज्ञों ने क्षेत्र का दौरा कर महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिन्हें रेल लाइन के अंतिम एलाइनमेंट में शामिल किया गया।
इसके अतिरिक्त, परियोजना की प्रूफ कंसल्टेंसी का जिम्मा देश के प्रतिष्ठित संस्थान, आईआईटी रुड़की को सौंपा गया, जिसकी अगुवाई संस्थान के निदेशक ने की।

परियोजना की विशेषताएं
इस रेल लाइन में 12 नए स्टेशन, 16 प्रमुख सुरंगें और 19 बड़े पुल शामिल होंगे। यह परियोजना न केवल तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील है। इसीलिए, उत्तराखंड सरकार के साथ भूमि अधिग्रहण और वन मंजूरी जैसे मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

चुनौतियां और समाधान
हिमालय की कठिन भौगोलिक स्थिति और जटिल भूवैज्ञानिक संरचना के कारण इस परियोजना में कई जोखिम और तकनीकी चुनौतियां हैं। इन जोखिमों को कम करने के लिए प्रारंभिक डिजाइन चरण में ही विशेष सावधानियां बरती गई हैं। आरवीएनएल ने राज्य सरकार के साथ मिलकर परियोजना के कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए वैकल्पिक उपायों पर भी चर्चा की।
उत्तराखंड के लिए नया युग
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। यह परियोजना न केवल तीर्थयात्रियों के लिए केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे धामों तक पहुंच को आसान बनाएगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी। पर्यटन और व्यापार के क्षेत्र में इस रेल लाइन से अभूतपूर्व वृद्धि की उम्मीद है।

निष्कर्ष
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड के लिए एक सपने के सच होने जैसी है। यह न केवल क्षेत्र की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी, बल्कि आर्थिक समृद्धि और सामाजिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। इस परियोजना के पूरा होने पर उत्तराखंड एक नए युग में प्रवेश करेगा, जहां विकास और प्रगति की रफ्तार पहले से कहीं अधिक तेज होगी।

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