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पहलगाम हमले से पहले सैटेलाइट तस्वीरों की सनसनीखेज मांग: क्या है पाकिस्तानी कनेक्शन का राज?

नई दिल्ली, 10 मई 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, से दो महीने पहले एक अमेरिकी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी, मैक्सार टेक्नोलॉजीज (Maxar Technologies), ने पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों की उच्च-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के लिए असामान्य रूप से अधिक ऑर्डर दर्ज किए। द प्रिंट की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, 2 से 22 फरवरी 2025 के बीच मैक्सार को कम से कम 12 ऑर्डर मिले, जो सामान्य मात्रा से दोगुना था।

पाकिस्तानी कंपनी के साथ साझेदारी और संदेह:
ये ऑर्डर जून 2024 में मैक्सार के पोर्टल पर दिखाई देने शुरू हुए, जब कंपनी ने पाकिस्तान स्थित एक भू-स्थानिक (जियोस्पेशियल) कंपनी, बिजनेस सिस्टम्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (BSI) के साथ साझेदारी की थी। यह कंपनी अमेरिका में संघीय अपराधों से जुड़ी रही है, और इसके संस्थापक, ओबैदुल्लाह सैयद, को अमेरिकी अदालत ने पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग (PAEC) को अवैध रूप से उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटर उपकरण और सॉफ्टवेयर निर्यात करने के लिए एक साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पहलगाम की सैटेलाइट तस्वीरों के लिए ऑर्डर BSI ने ही दिए थे, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने इस संयोग को नजरअंदाज करने से इनकार किया है, खासकर BSI के आपराधिक इतिहास को देखते हुए।

सैटेलाइट तस्वीरों का महत्व:
मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट तस्वीरें 15 से 30 सेंटीमीटर के रिज़ॉल्यूशन के साथ उपलब्ध हैं, जो सैन्य और खुफिया एजेंसियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन तस्वीरों का उपयोग सैनिकों की आवाजाही, हथियारों की तैनाती, बुनियादी ढांचे के विकास, अवैध सीमा पार गतिविधियों, और तस्करी जैसे कार्यों की निगरानी के लिए किया जाता है। एक रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, 10 सेंटीमीटर से कम रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें इतनी स्पष्ट हो सकती हैं कि सड़कों पर चल रहे लोगों के चेहरे तक की पहचान की जा सकती है।

ऑर्डर का पैटर्न:
रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2025 में पहलगाम के लिए विभिन्न सैटेलाइट फ्रीक्वेंसी रेंज के ऑर्डर चरम पर थे, जिनमें 12, 15, 18, 21 और 22 फरवरी को खरीदारी दर्ज की गई। मार्च में कोई ऑर्डर नहीं आया, लेकिन 12 अप्रैल को एक ऑर्डर दर्ज हुआ, जो हमले से सिर्फ 10 दिन पहले था। हमले के बाद, 24 और 29 अप्रैल को क्षेत्र की दो और सैटेलाइट तस्वीरों के लिए अनुरोध आए। इसके बाद से कोई ऑर्डर दर्ज नहीं हुआ है। प्रत्येक सैटेलाइट तस्वीर की शुरुआती कीमत 3 लाख रुपये से शुरू होती है, जो रिज़ॉल्यूशन के आधार पर बढ़ती है।

भारत और मैक्सार का संबंध:
भारत में रक्षा मंत्रालय और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सहित कई सरकारी एजेंसियां मैक्सार की सेवाओं का उपयोग करती हैं। इसके अलावा, कम से कम 11 भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और कंपनियां मैक्सार की ग्राहक और साझेदार हैं। मैक्सार के एक ग्राहक ने बताया कि कोई भी भुगतान करने वाला साझेदार कंपनी के पोर्टल पर अन्य साझेदारों द्वारा ऑर्डर की गई सैटेलाइट तस्वीरें देख सकता है, जब तक कि वे रणनीतिक महत्व की न हों।

विशेषज्ञों की चेतावनी:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक वैज्ञानिक ने सुझाव दिया कि भारत को मैक्सार से इन ऑर्डरों की जांच करने के लिए कहना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इन तस्वीरों का उपयोग 22 अप्रैल के हमले की योजना में किया गया था। भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA) के महानिदेशक और पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त) ने चेतावनी दी कि उच्च-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों की आसान उपलब्धता से आतंकी तत्वों द्वारा दुरुपयोग का खतरा है।

पहलगाम के अलावा अन्य संवेदनशील क्षेत्र:
मैक्सार के पोर्टल पर पहलगाम के अलावा अन्य संवेदनशील भारतीय क्षेत्रों जैसे पुलवामा, अनंतनाग, पुंछ, राजौरी और बारामूला की सैटेलाइट तस्वीरें भी ऑर्डर की गई थीं। यह जानकारी भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है, खासकर तब जब मैक्सार की साझेदारी एक ऐसी कंपनी के साथ है जो पाकिस्तान की सैन्य और परमाणु गतिविधियों से जुड़ी रही है।

मैक्सार की चुप्पी:
द प्रिंट ने मैक्सार टेक्नोलॉजीज से ईमेल के जरिए संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। मैक्सार की व्यावसायिक नीति के तहत, वह कई देशों और उनकी सैन्य एजेंसियों को सैटेलाइट तस्वीरें बेचती है, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों शामिल हैं।

भारत की प्रतिक्रिया:
22 अप्रैल के पहलगाम हमले के जवाब में, भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी शिविरों पर मिसाइल हमले किए गए। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाया गया, और मैक्सार की सैटेलाइट तस्वीरों ने इन हमलों के प्रभाव को दर्शाया।

निष्कर्ष:
पहलगाम हमले से पहले सैटेलाइट तस्वीरों की मांग में वृद्धि और मैक्सार की पाकिस्तानी साझेदार कंपनी के आपराधिक इतिहास ने भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस मामले की गहन जांच करानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसी संवेदनशील जानकारी भविष्य में गलत हाथों में न पड़े।

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