झारसुगुड़ा जिले के बन्धबहाड़ थाना क्षेत्र में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक नाबालिग दुकानदार के साथ दबंगों ने न केवल मारपीट की, बल्कि उसे डराने-धमकाने की कोशिश भी की। इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता और कथित पक्षपात ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश पैदा कर दिया है।
पीड़ित की पहचान मोहम्मद अमन (17) के रूप में हुई है, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए सड़क किनारे चने का ठेला लगाता है। अमन ने बताया कि 9 मई 2025 को दोपहर करीब 12 बजे अदित्य सिंह नामक युवक ने अचानक उसकी दुकान पर धावा बोल दिया। उसने अमन को बेरहमी से पीटा और ठेला पलट कर पूरे सामान को बर्बाद कर दिया।
अमन का आरोप है कि अदित्य ने उसे धमकी दी कि वह दोबारा इस इलाके में दुकान नहीं लगाए और यदि पुलिस के पास गया, तो अंजाम बुरा होगा। अमन ने जब हिम्मत जुटाकर बन्धपीली थाना में शिकायत दर्ज करवानी चाही, तो पुलिस ने उसकी शिकायत लेने से मना कर दिया। यही नहीं, जब अमन ने अदित्य को बताया कि उसके पास मारपीट के सबूत हैं, तो अदित्य ने पुलिस की मौजूदगी में ही अमन का मोबाइल छीनकर सारे सबूत मिटा दिए। इस पर भी पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
परिवार पर लगातार हो रहा है हमला
अमन का परिवार पहले से ही कठिनाई में जी रहा है। उनके पिता विकलांग हैं और परिवार की जिम्मेदारी अमन और उसके छोटे भाई पर है। अमन ने बताया कि कुछ दिन पहले अश्विनी सिंह नाम के व्यक्ति ने उसके विकलांग पिता के साथ भी गाली-गलौज और मारपीट की थी, और शराब के नशे में उन्हें धक्का भी मारा। इस घटना की शिकायत अमन के छोटे भाई ने नजदीकी थाने में दर्ज कराई थी, जिसके बाद से ही उनके परिवार को लगातार धमकियाँ मिल रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अदित्य सिंह और अश्विनी सिंह का इलाके में दबदबा है, और वे अक्सर लोगों को धमकाते रहते हैं। लेकिन पुलिस हमेशा इन मामलों में चुप्पी साधे रहती है, जिससे आम जनता का पुलिस प्रशासन पर से भरोसा उठता जा रहा है।
स्थानीय जन आंदोलन की चेतावनी
इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि पीड़ित को न्याय नहीं मिला, तो वे व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और थाना घेराव तक करेंगे।
प्रशासन पर उठे सवाल
यह मामला न सिर्फ कानून-व्यवस्था की विफलता को उजागर करता है, बल्कि पुलिस की निष्क्रियता और निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। एक नाबालिग के साथ मारपीट, धमकी और सबूत मिटाने जैसी गंभीर घटनाओं के बावजूद जब कार्रवाई नहीं होती, तो यह न्यायिक प्रणाली की विफलता का प्रतीक बनता है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है, और क्या अमन और उसका परिवार इस अन्याय के खिलाफ न्याय पा सकेगा।
रिपोर्ट: ई-खबर मीडिया, बन्धवाहाल, झारसुगुड़ा