पूर्णिया, बिहार:
प्राकृतिक आपदा जब आती है तो गरीबों के सपनों को भी साथ उड़ा ले जाती है। ऐसा ही मामला सामने आया है बिहार के पूर्णिया ज़िले से, जहाँ ममता देवी नामक महिला अपने विकलांग बेटे के साथ बुरी स्थिति में जीवन गुज़ार रही हैं।
साल में एक बार ही आते हैं पति, अकेली मां कर रही संघर्ष
30 वर्षीय ममता देवी के पति सुनील मेहता तिरुपति (आंध्रप्रदेश) में सड़क निर्माण का कार्य करते हैं और साल भर में केवल एक बार ही घर आ पाते हैं। घर की देखभाल, विकलांग बेटे की देखरेख और जीवन यापन की ज़िम्मेदारी पूरी तरह ममता देवी के कंधों पर है।
12 साल का विकलांग बेटा, मजबूरी की छांव में पल रही जिंदगी
ममता देवी का बेटा 12 साल का है और शारीरिक रूप से विकलांग है। उसकी देखभाल में हर दिन एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है। अब जब घर की छत भी उड़ गई है, तो बारिश, धूप और गर्मी में उसका जीवन और भी कठिन हो गया है।
आंधी में उड़ गई खप्पर, खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर
हाल ही में आई तेज़ हवा और आंधी में उनका कच्चा घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। छत की खप्परें उड़ गईं और अब वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। मकान की मरम्मत कराने के लिए उनके पास न तो पैसा है, न ही कोई सरकारी सहायता मिली है।
ममता देवी की अपील – एक छत, एक सहारा चाहिए
ममता देवी ने समाज और प्रशासन से मदद की अपील की है। उनका कहना है कि वे सिर्फ अपने बेटे को सुरक्षित रखना चाहती हैं। उन्हें ना केवल मकान की मरम्मत, बल्कि बेटे के इलाज और देखभाल के लिए मदद की जरूरत है।
संपर्क करें और सहायता करें
यदि आप इनकी सहायता करना चाहते हैं या जानकारी लेना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं:
📞 8871022710 (ई-खबर मीडिया संपादक)
आपका छोटा सा सहयोग ममता देवी और उनके बेटे के लिए बन सकता है जीवन का सहारा