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वाराणसी के गणेश प्रसाद मौर्य: हर साल सौ से अधिक वृक्ष लगाने वाले “हरित प्रहरी”

वाराणसी जनपद के चिलबिला गांव में रहने वाले श्री गणेश प्रसाद मौर्य का जीवन पर्यावरण संरक्षण को समर्पित है। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा वृक्षारोपण और हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने में लगा दिया है। पर्यावरण के प्रति यह अगाध प्रेम महज एक शौक नहीं, बल्कि एक संकल्प है, जिसे उन्होंने आत्मसात किया है।

श्री मौर्य वर्ष 1971 से अखिल विश्व गायत्री परिवार से जुड़े हुए हैं। वर्ष 1991 में उन्होंने हरिद्वार स्थित शांतिकुंज में यह संकल्प लिया कि वह प्रतिवर्ष कम से कम 100 वृक्ष लगाएंगे। इस संकल्प को वे आज भी निष्ठा और समर्पण से निभा रहे हैं।

गणेश प्रसाद मौर्य द्वारा लगाए गए वृक्ष केवल संख्या में ही अधिक नहीं हैं, बल्कि वे वृक्ष भारत की पारंपरिक आस्था और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वे अपने वृक्षारोपण में विशेष रूप से ‘देववृक्षों’ को प्राथमिकता देते हैं। इनमें गुलर, बरगद, कदम, पाकड़, अशोक, आम और अमरूद जैसे वृक्ष शामिल हैं।

वृक्ष लगाने के लिए वे सार्वजनिक स्थलों जैसे—विद्यालय, महाविद्यालय, मंदिर परिसर, धर्मशालाएं, नदी व तालाब के किनारे जैसी जगहों का चयन करते हैं। इन स्थानों पर वे निशुल्क पौधे लगाते हैं, जबकि स्थानीय नागरिकों के निवास पर नाममात्र शुल्क लेकर पौधरोपण करते हैं ताकि घर के लोग उस वृक्ष की देखभाल जिम्मेदारी से करें।

अब तक वे 6000 से अधिक वृक्ष लगा चुके हैं और 10 से अधिक पंचवटी स्थलों का निर्माण कर चुके हैं। गौर करने वाली बात यह है कि वे स्वयं अपने घर पर पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं और पौधों को साइकिल से ले जाकर रोपण करते हैं। गड्ढा खोदने से लेकर वृक्ष की सुरक्षा हेतु चारों ओर घेराव तक का हर कार्य वे अकेले ही करते हैं।

उनके अनुसार वृक्ष हमें ऑक्सीजन, फल, छाया और लकड़ी प्रदान करते हैं। साथ ही, पर्यावरण को शुद्ध रखने और वर्षा लाने में भी इनका अहम योगदान होता है। इस वर्ष भी वे अब तक 50 वृक्ष लगा चुके हैं और वर्षा होने के बाद शेष वृक्षारोपण करके अपना वार्षिक संकल्प पूर्ण करेंगे।

श्री गणेश प्रसाद मौर्य का जीवन इस बात का प्रतीक है कि एक व्यक्ति भी यदि मन में ठान ले, तो समाज और पर्यावरण के लिए बड़ा परिवर्तन ला सकता है। गायत्री परिवार शांतिकुंज के प्रति आस्था और धरती मां के प्रति समर्पण भाव ने उन्हें समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। वे आजीवन वृक्षारोपण करते रहेंगे—यही उनका प्रण है, यही उनका धर्म है।

रिपोर्टर : अवधेश प्रताप मौर्य,
ई-खबर मीडिया, वाराणसी

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