प्रार्थी ने अदालत में दी अर्जी, एसपी तक भेजी थी रजिस्ट्री, कहा – रामदुलारे और दो अज्ञात ने साजिशन बेटे को डुबोकर मार डाला
आजमगढ़।
जनपद के महाराजगंज थाना क्षेत्र के शिवपुर गांव निवासी कन्हैया यादव ने न्यायालय में सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि उसके 15 वर्षीय पुत्र शिवम यादव की हत्या गांव के ही रामदुलारे यादव और दो अज्ञात लोगों ने मिलकर साजिशन डुबोकर कर दी, लेकिन स्थानीय पुलिस ने पूरे मामले को इतेफाकिया हादसा बताते हुए महज जीडी में दर्ज कर पल्ला झाड़ लिया।
प्रकरण को लेकर पीड़ित पिता ने श्रीमान अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, न्यायालय संख्या-11, आजमगढ़ में धारा 173(4) बीएनएसएस के अंतर्गत अर्जी दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई है। प्रार्थी ने कहा कि बेटे की मौत को पुलिस ने एक आम दुर्घटना बता दिया, जबकि पूरा गांव जानता है कि हत्या साजिश के तहत की गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, घटना 1 अक्टूबर 2024 की शाम लगभग 5 बजे की है, जब कन्हैया यादव का पुत्र शिवम दवा लेने कुड़ही डाला गया था। इसी दौरान बुढऊ बाबा मंदिर के पास उसे पानी में डुबोकर मौत के घाट उतार दिया गया। घटना के वक्त कन्हैया यादव राजस्थान में मजदूरी कर रहा था। जैसे ही वह घर लौटा, गांववालों से उसे पूरे मामले की जानकारी मिली।
कन्हैया यादव ने अपनी अर्जी में यह भी उल्लेख किया है कि घटना से करीब डेढ़ माह पूर्व भी रामदुलारे ने उसके बेटे पर डंडे से हमला किया था, जिसमें उसका हाथ टूट गया था। उस समय भी 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचित किया गया था।
प्रार्थी का आरोप है कि बेटे की हत्या के एक पखवाड़े बाद, दिनांक 24 अक्तूबर को उसकी बेटी जब स्कूल से लौट रही थी, तो सरकारी शौचालय के पास रामदुलारे अपने एक साथी से बात करते हुए साफ शब्दों में कह रहा था – “कन्हैया के बड़े बेटे को पानी में डुबो कर मार दिया और बच गए, अब कुछ होगा तो तुम संभाल लेना।”
पीड़ित पिता ने थाना महाराजगंज और पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ को रजिस्ट्री द्वारा पूरे मामले की सूचना दी, लेकिन किसी भी स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब पिता ने मजबूरी में अदालत की शरण ली है और अदालत से मांग की है कि मामले में समुचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कराकर थाना महाराजगंज को निष्पक्ष विवेचना करने का आदेश दिया जाए।
कन्हैया यादव का कहना है कि मामले को दुर्घटना बताकर पुलिस ने अभियुक्तों का मनोबल बढ़ा दिया है। अब वही लोग प्रार्थी और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
पीड़ित पिता ने न्यायालय में यह स्पष्ट किया है कि किसी भी समय उनके या उनके परिजनों के साथ कोई अनहोनी हो सकती है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी उन लोगों पर होगी जिन्होंने पहले बेटे को मारा और अब पूरे परिवार को धमका रहे हैं।
गंभीर सवालों के घेरे में पुलिस की भूमिका
पूरा मामला पुलिस की कार्यशैली और संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अगर किसी पिता का आरोप सही है कि बेटे की हत्या को इतेफाकिया बताकर फाइल बंद कर दी गई, तो यह न केवल पुलिसिया लापरवाही बल्कि न्याय की हत्या जैसा कृत्य है।
अब देखना यह होगा कि न्यायालय इस पूरे मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या पीड़ित पिता को अपने बेटे के लिए इंसाफ मिल पाता है?
रिपोर्ट: ई खबर ब्यूरो, आजमगढ़