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नोएडा सेक्टर 98 में रह रहे बिहार सीतामढ़ी निवासी मुकेश कुमार झा की मांग — “बच्चों की छुट्टियों में स्कूल फीस क्यों ली जाती है?”

रिपोर्ट: विशेष संवाददाता | स्थान: नोएडा/सीतामढ़ी

नोएडा सेक्टर 98 में पिछले तीन वर्षों से अपने परिवार के साथ रह रहे बिहार के सीतामढ़ी जिले के मूल निवासी मुकेश कुमार झा, उम्र 34 वर्ष, ने एक गंभीर और आम जनहित से जुड़ी समस्या को लेकर आवाज़ उठाई है। उनकी पत्नी कल्याणी कुमारी और दो छोटे बेटे विद्यांश झा (8 वर्ष) और सूर्यांश झा (6 वर्ष) हैं। दोनों बच्चे “New Giri Launch Public School ” में पिछले 18 महीनों से नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे हैं।

मुकेश कुमार झा ने बताया कि वे एक निजी कंपनी में काम करते हैं और प्राइवेट जॉब करने वालों को अगर एक दिन की भी छुट्टी मिलती है, तो उसका वेतन कट जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि स्कूल जब बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में 40 से 60 दिन, ठंड में 10 से 15 दिन और अन्य अवकाशों में छुट्टी देता है, तब भी पूरी फीस क्यों वसूलता है? “अगर हम छुट्टी लेते हैं तो हमारी सैलरी कटती है, तो जब स्कूल बच्चों को महीनों की छुट्टी देता है, तब उसकी फीस क्यों नहीं माफ की जाती?” – मुकेश कुमार, शिकायतकर्ता

गरीब परिवारों के लिए राहत की मांग

मुकेश कुमार झा ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं, और निजी स्कूलों की बढ़ती फीस गरीब एवं साधारण परिवारों पर बहुत बड़ा बोझ बन रही है। उन्होंने यह भी मांग की कि:

छुट्टियों के महीनों की फीस में छूट दी जाए या उस अवधि की फीस पूरी तरह माफ की जाए।

अत्यधिक महंगी किताबों के कारण अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव पड़ता है।

स्कूल द्वारा एक ही बुक स्टोर से महंगी किताबें दिलवाना अनुचित है — यह प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और अभिभावकों को विकल्प दिए जाने चाहिए।

एकतरफा बुक विक्रेता पर सवाल

मुकेश कुमार झा का आरोप है कि न्यू रिलायंस पब्लिक स्कूल केवल एक ही किताब की दुकान से किताबें दिलवाता है, जिससे किताबें बहुत महंगी आती हैं और अभिभावकों के पास कोई विकल्प नहीं रहता।

“बुक स्टोर एक ही तय किया गया है, वहां से ही खरीदना पड़ता है। किताबें इतनी महंगी हैं कि एक बच्चा पढ़ाना भी मुश्किल हो रहा है।” – मुकेश कुमार

सरकार और शिक्षा विभाग से अपील

मुकेश कुमार झा ने शिक्षा विभाग और राज्य सरकार से मांग की है कि:

स्कूलों को छुट्टियों के दौरान ली जाने वाली फीस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करें।

किताबों की खरीदारी को खुले बाजार के लिए स्वतंत्र किया जाए।

गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए फीस में विशेष छूट दी जाए।

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