सुपौल (मानगंज): ज़िले के मानगंज पंचायत के वार्ड नंबर 9 निवासी 63 वर्षीय चंदेश्वर यादव के जीवन में अंधकार तब छा गया जब उनके लिए रोज़ी-रोटी का एकमात्र सहारा रही भैंस की करंट लगने से मौत हो गई। पहले से ही विकलांगता से जूझ रहे चंदेश्वर यादव इस घटना के बाद पूरी तरह टूट चुके हैं। एक ओर शरीर साथ नहीं देता, दूसरी ओर अब पेट पालने वाला साधन भी चला गया।
चंदेश्वर यादव की यह भैंस न केवल उनके लिए दूध का स्रोत थी, बल्कि दूध बेचकर वह अपनी दवा, रोटी और बुनियादी जरूरतें पूरी करते थे। भैंस की कीमत तकरीबन 1 लाख रुपये बताई जा रही है, जो उनके लिए किसी संपत्ति से कम नहीं थी। करंट लगने से भैंस की मौके पर ही मौत हो गई। ग्रामीणों ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रशासन से मदद की मांग की है।
पीड़ित की व्यथा — “अब क्या खाएंगे, कैसे जिएंगे?”
चंदेश्वर यादव का कहना है कि “शरीर तो पहले ही जवाब दे चुका है, अब ये भैंस ही थी जो रोज़ का सहारा बनी हुई थी। उसके दूध से घर चलता था, कुछ पैसे भी आ जाते थे। अब तो सब कुछ खत्म हो गया। सरकार से यही गुज़ारिश है कि मेरी मजबूरी को समझे और मुआवजा दे, ताकि दो वक्त की रोटी जुटा सकूं।”
सहायता के लिए आगे आएं!
अगर कोई संवेदनशील नागरिक, सामाजिक संस्था या जनप्रतिनिधि उनकी मदद करना चाहता है तो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर आर्थिक सहायता दे सकता है:
📞 8871022710 (ई-खबर मीडिया संपादक)
प्रशासन से अपील:
स्थानीय प्रशासन से निवेदन है कि इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखें और विकलांग बुजुर्ग को आर्थिक मुआवजा प्रदान करें, ताकि वे दोबारा अपने पैरों पर खड़े हो सकें।
यह घटना न केवल एक पशु की मौत है, बल्कि एक इंसान की आशा और सहारे के टूटने की पीड़ा भी है।