जिन्नौर (हरियाणा)/कोसमपुरा (उत्तर प्रदेश) — विशेष संवाददाता
हरियाणा के जिन्नौर गांव में ट्रैक्टर चलाती एक महिला इन दिनों सबका ध्यान खींच रही है। नाम है — मालती देवी, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कोसमपुरा जिले के सिंबल गांव की रहने वाली हैं। वर्ष 2011 से ट्रैक्टर चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहीं मालती देवी की कहानी संघर्ष और आत्मनिर्भरता की मिसाल है।
संकटों ने डगमगाया, लेकिन नहीं टूटीं मालती देवी
मालती देवी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। चार बहनों में एक, मालती के परिवार में दो छोटी बहनें, एक बड़ी बहन (जिनकी शादी हो चुकी है) और उनकी माता जी हैं। पिता और भाई की मृत्यु के बाद पूरा परिवार उनके कंधों पर आ गया।
भाई का निधन वर्ष 2024 में हुआ, जो शादीशुदा थे। उनके पीछे पत्नी सुनीता देवी और चार छोटे बच्चे (दो बेटे और दो बेटियाँ) हैं। वर्ष 2025 में पिता का भी देहांत हो गया। इस दोहरी मार के बाद मालती देवी ही घर की इकलौती कमाने वाली सदस्य बचीं।
ट्रैक्टर बना सहारा, हुनर बना हथियार
मालती ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने पुराने हुनर — ट्रैक्टर चलाने — को ही जीविका का साधन बनाया। रोड का माल लाना , सरकारी रोड के निर्माण कार्य में काम करना और कभी-कभी ईंट-बालू ढोकर, उन्होंने परिवार को संभाला। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने बहनों और बच्चों की जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा।
अब यूट्यूब बना मंच, संघर्ष बनेगा संदेश
अब मालती देवी अपने इसी संघर्ष को डिजिटल प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर लाना चाहती हैं। उनका मकसद है कि लोग समझें — हालात चाहे जैसे हों, मेहनत और आत्मबल से उन्हें बदला जा सकता है। वो चाहती हैं कि उनकी कहानी उन लाखों महिलाओं तक पहुंचे जो बुरे वक्त में टूट जाती हैं।
उनके शब्दों में —
“मुसीबतें हर किसी के जीवन में आती हैं, लेकिन अगर हम पीछे हट जाएं, तो हमारे पीछे खड़े लोगों का क्या होगा? ट्रैक्टर मेरे लिए सिर्फ मशीन नहीं, मेरे परिवार का सहारा है।”
एक महिला, एक ट्रैक्टर, और अनगिनत जिम्मेदारियाँ
आज जब समाज महिला सशक्तिकरण की बातें करता है, तब मालती देवी ज़मीन पर उसका जीता-जागता उदाहरण हैं। बिना किसी सरकारी सहायता के, केवल अपने मेहनत के बल पर उन्होंने जो किया है, वो न सिर्फ प्रशंसा के काबिल है, बल्कि अनुकरणीय भी।
अगर आप मालती देवी की इस प्रेरक यात्रा को देखना चाहते हैं, तो जल्द ही उनका यूट्यूब चैनल लॉन्च होने वाला है, जहां वे अपने संघर्ष, ट्रैक्टर चलाने का अनुभव और ग्रामीण महिलाओं की ज़िन्दगी को बेहद वास्तविक तरीके से पेश करेंगी।