मध्यप्रदेश के धार जिले में महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाने वाला मामला सामने आया है। 45 वर्षीय किरण भावसार के साथ सरेआम छेड़छाड़ और शारीरिक उत्पीड़न की घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जब पीड़िता ही बार-बार गुहार लगाकर थक जाए और फिर भी कार्रवाई न हो, तो कानून व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कैसे बचेगा?
पहचान और घटना की पृष्ठभूमि:
पीड़िता किरण भावसार, लक्ष्मी कॉलोनी, धार निवासी हैं। 21 नवंबर 2024 को शाम करीब 5 बजे, वह जिला अस्पताल बड़वानी से अपने एक परिचित के साथ लौट रही थीं। वह बड़वानी से कटनेरा फतेही गांव के रास्ते पर बाइक से लौट रही थीं।
घटना का पूरा घटनाक्रम:
कटनेरा फतेही गांव के पास एक तीन-पहिए का विकलांग वाहन उनकी बाइक के पास आया। इस वाहन को सोहन बाबेनया नामक विकलांग व्यक्ति चला रहा था।
उसके पीछे लाल टोपी पहने एक आदमी बैठा था जिसकी गोद में लगभग तीन साल का बच्चा था।
जैसे ही यह वाहन पीड़िता के समीप आया, आरोपी ने किरण भावसार की साड़ी पकड़कर खींचने की कोशिश की।
उसने बुरी नीयत से उन्हें छूने का प्रयास किया और यह हरकत दो से तीन बार दोहराई गई।
इस हमले से किरण भावसार बाइक से गिरते-गिरते बचीं, लेकिन उनकी पीठ पर नाखूनों के निशान पड़ गए।
जब किरण और उनके परिचित ने आरोपी को पकड़ने की कोशिश की, वह भाग निकला।
तुरंत पुलिस में शिकायत का प्रयास:
घटना के तुरंत बाद किरण भावसार और उनका परिचित निसरपुर पुलिस चौकी पहुँचे।
उन्होंने घटना की पूरी जानकारी दी और आरोपी की पहचान भी स्पष्ट की।
लेकिन चौकी पुलिस ने गंभीरता से मामला लेने के बजाय कुछ कागज़ों पर हस्ताक्षर करवा लिए।
ना तो FIR दर्ज की गई और ना ही किसी प्रकार की त्वरित कार्रवाई की गई।
लिखित शिकायत के बाद भी मौन:
किरण भावसार ने उसी दिन एक लिखित शिकायत पत्र भी पुलिस को सौंपा, जिसमें उन्होंने पूरी घटना का विवरण दिया।
इसके बावजूद पुलिस ने न तो कोई केस दर्ज किया और न ही आरोपी की तलाश शुरू की।
ऊँचे अधिकारियों से भी नहीं मिला कोई सहारा:
पुलिस चौकी से न्याय न मिलने के बाद, किरण भावसार ने जिले के बड़े अधिकारियों से भी संपर्क किया। उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई:
181 महिला हेल्पलाइन पर
धार के पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय में
उप पुलिस अधीक्षक (DSP) कार्यालय में
धार जिला कलेक्टर कार्यालय में
लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन सभी जगहों से उन्हें केवल आश्वासन ही मिला, ठोस कार्रवाई आज तक नहीं हुई।
पीड़िता को मिल रही हैं धमकियाँ:
अब स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। किरण भावसार का कहना है कि जब वह कुक्षी बाजार जाती हैं, तो कुछ लोग मुंह बांधकर आते हैं और उन्हें धमकाते हैं कि वे शिकायत वापस ले लें।
यह सीधे तौर पर पीड़िता को डराने और न्याय प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास है।
पीड़िता का बयान:
“मैंने SP से लेकर 181 हेल्पलाइन तक सब जगह शिकायत की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आरोपी खुलेआम घूम रहा है और मुझे धमकियाँ दी जा रही हैं। रोज़ रास्ते से आना-जाना मजबूरी है, लेकिन अब हमेशा डर बना रहता है। क्या किसी महिला को सुरक्षा मांगना अपराध हो गया है?”
4. जब पीड़िता को धमकियाँ मिल रही हैं, तो उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी जा रही?
क्योंकि यदि एक महिला खुलेआम सड़कों पर अपमानित होती है और फिर भी उसे न्याय नहीं मिलता, तो यह केवल एक व्यक्ति की हार नहीं, पूरे तंत्र की विफलता है।