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27 वर्षों से कब्जे में रही जमीन पर मिला इंसाफ: वन विभाग का दावा खारिज, गुलाब को मिला भूमिधरी हक

बीजपुर/सोनभद्र, 22 जुलाई 2025:
सोनभद्र जिले के ग्राम पिपरहर निवासी गुलाब पुत्र बबऊ को उनकी पुश्तैनी भूमि पर 27 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद न्यायिक जीत मिली है। तहसील न्यायालय ने स्पष्ट आदेश में कहा है कि गुलाब का कब्जा पूरी तरह वैध है और वन विभाग का उस पर दावा असंगत व कानूनन गलत है। यह फैसला ऐसे सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणा बना है, जो सरकारी विभागों के दबाव में वर्षों से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

वर्ष 1991 से जारी था विवाद

विवाद की शुरुआत तब हुई जब वर्ष 1991 में गुलाब की पुश्तैनी भूमि को वन विभाग ने ‘सुरक्षात्मक वन क्षेत्र’ घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की। इस फैसले के विरोध में गुलाब ने वाद संख्या 4826/1991 के तहत न्यायालय की शरण ली और तब से लगातार कानूनी लड़ाई लड़ते रहे।

जांच में मिला गुलाब को स्थायी कब्जे का प्रमाण

तहसील और नायब तहसीलदार द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में यह सिद्ध हुआ कि गुलाब वर्ष 1390 फसली से गाटा संख्या 215, 218, 220, 221 व 223 पर स्थायी और शांतिपूर्ण रूप से काबिज हैं। भूमि न तो सीलिंग कानून के दायरे में आती है और न ही उस पर किसी अन्य सरकारी नियम का प्रभाव है।

वन विभाग की दलीलें कोर्ट ने की खारिज

वन विभाग की यह आपत्ति कि भूमि को ‘प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट’ घोषित किया गया था, कोर्ट ने खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से शांतिपूर्वक भूमि पर काबिज है और उस पर कृषि कर चुका है, तो उसे भूमिधर का दर्जा दिया जाना चाहिए।

कुछ गाटों पर नहीं मिलेगा हक

हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि गाटा संख्या 213, 214, 217, 219 व 222 पर पत्थर अंकित स्थिति है, जिस कारण इन पर गुलाब का कोई वैधानिक अधिकार नहीं माना जाएगा।

तहसीलदार पर लगाया भाई के नाम गलत चढ़वाने का आरोप

गुलाब ने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपते हुए गंभीर आरोप लगाए कि तहसीलदार दुधी ने 2023 में बिना पूर्व सूचना उनके भाई राम दुलारे का नाम सहखातेदार के रूप में गलत ढंग से दर्ज करवा दिया। गुलाब ने इसे अवैध करार देते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

गुलाब की मांग – आदेश की हो उच्चस्तरीय जांच

गुलाब का कहना है कि 20 नवंबर 2024 को पारित आदेश में उनके विरोध के बावजूद उनके भाई का नाम दर्ज किया गया था। उन्होंने इस आदेश की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग उठाई है।

न्यायालय का आदेश (मुख्य बिंदु):

1. गाटा संख्या 215, 218, 220, 221 व 223 पर गुलाब का नाम भूमिधर वर्ग-4 के रूप में दर्ज किया जाए।

2. गाटा संख्या 213, 214, 217, 219, 222 पर गुलाब का दावा अमान्य, इन्हें पत्थर अंकित रखा जाए।

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