मेरठ से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर – जहां एक महिला की जिंदगी और मौत के बीच की जंग को उसके ही पति ने खत्म कर दिया। आरोप है कि पैसों की ताकत के आगे अस्पताल प्रशासन ने भी इंसानियत बेच दी।
पूरा मामला मेरठ के विवेकानंद सुभार्ती अस्पताल का है, जो पुलिस चौकी सुभार्ती, थाना जानी के अंतर्गत आता है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि यह अस्पताल ग़रीबों की मजबूरी नहीं देखता बल्कि घूसखोरों की जेबें देखता है।
बताया जा रहा है कि 17 जुलाई 2025 को सकीला नाम की महिला को उसके पति इमरान हुसैन ने घर में बुरी तरह पीटा। पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था, जिसके बाद इमरान ने सकीला का सिर दीवार में दे मारा। सिर से तेज़ी से खून बहता देख इमरान घबरा गया। उसने झटपट अपनी घायल पत्नी को उठाया, बेटी को साथ लिया और उसे अस्पताल की ओर लेकर भागा।
लेकिन अस्पताल पहुंचने तक कहानी बदल दी गई। लोगों को गुमराह करने के लिए कहा गया कि रास्ते में ऑटो ने टक्कर मार दी थी और ऑटो वाला फरार हो गया। इसी झूठी कहानी को आधार बनाकर FIR में भी अलग-अलग बातें कही जाती रहीं।
परिवार का आरोप है कि सुभार्ती अस्पताल में तीन-चार दिन तक सकीला जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही। कोई नहीं जानता कि उसे सही इलाज मिला भी या नहीं। जब परिवार ने उसकी हालत बिगड़ती देखी तो उसे दिल्ली शिफ्ट करने की तैयारी की गई।
सारे इंतजाम पूरे कर लिए गए थे। सफदरजंग अस्पताल में वेंटिलेटर तक की व्यवस्था हो गई थी। लेकिन जैसे ही इमरान को खबर लगी कि परिवार उसे दिल्ली शिफ्ट कराने आ रहा है, उसने अस्पताल स्टाफ की मिलीभगत से करीब 1 बजे उसे वेंटिलेटर से हटवा दिया। आरोप है कि इसके लिए इमरान ने मोटी रकम दी और अस्पताल प्रशासन ने पैसे लेकर वेंटिलेटर से महिला को हटा दिया।
परिजनों का कहना है कि वेंटिलेटर पर जिंदगी मशीनों के सहारे चल रही थी। लेकिन इमरान और अस्पताल प्रबंधन ने उसका फायदा उठाया और उनकी बहन की जान ले ली।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि –
➡️ क्या वाकई सुभार्ती अस्पताल प्रशासन ने घूस लेकर इलाज रोक दिया?
➡️ क्या सच में इमरान ने पत्नी की हत्या की साजिश रची थी?
➡️ और क्या पुलिस इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करेगी?
परिवार ने न्याय की गुहार लगाई है। फिलहाल इस मामले ने मेरठ के मेडिकल सिस्टम, अस्पतालों की कार्यप्रणाली और घरेलू हिंसा पर कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।