विशेष रिपोर्ट | संवाददाता – दरभंगा (बिहार)
दरभंगा जिले के कुशेश्वर थाना क्षेत्र अंतर्गत मधुबन गांव में रहने वाले शिवनारायण यादव (उम्र 53 वर्ष, पिता स्वर्गीय पूरन यादव) बीते 13 वर्षों से एक पारिवारिक जमीन विवाद में उलझे हुए हैं। इस विवाद ने अब हिंसक रूप ले लिया है और शिवनारायण को उनकी पत्नी नीतू देवी और दो बच्चों – शुभ और सोनी के साथ अत्यंत गरीबी, भय और सामाजिक बहिष्कार का जीवन जीना पड़ रहा है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और विवाद की जड़
शिवनारायण के पिता पूरन यादव की पहली पत्नी मानतीय देवी का निधन उस समय हुआ था जब शिवनारायण छोटे थे। इसके बाद पूरन यादव ने दूसरी शादी चन्य देवी (अब कन्या देवी) से की। दूसरी पत्नी से उन्हें लालबाबू यादव और सीता नाम की संतानें हुईं। लालबाबू की पत्नी का नाम मीरा देवी है, जबकि सीता की शादी हो चुकी है और वह ससुराल में रहती है।
शिवनारायण का कहना है कि उनके पिता मरने से पहले एक वसीयतनामा लिखकर गए थे, जिसमें 4.5 बीघा जमीन को दोनों बेटों के नाम आधा-आधा बांटने की बात स्पष्ट रूप से लिखी गई थी।
पंचायत ने भी दिया था न्यायोचित निर्णय
दिनांक 10 नवम्बर 2019 को ग्राम पंचायत राज दिनौरा में सरपंच श्रीमती अरुणा सिन्हा की अध्यक्षता में पंचायत बुलाई गई थी। पंचायत में धुरान यादव (पुत्र स्व. थिएटर यादव) और कई ग्राम के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में विवाद का समाधान किया गया। निर्णय अनुसार:
पूरी 4.5 बीघा भूमि को दोनों भाइयों में 1/2-1/2 बराबर बाँटा गया।
कोई भी भाई दूसरे के हिस्से पर दावा नहीं करेगा।
आवासीय भूमि में से लालबाबू को 2.25 धूर जमीन शिवनारायण को देने का आदेश दिया गया ताकि वे घर बना सकें।
सड़क किनारे की जमीन भी दोनों को बराबर-बराबर बांटने का निर्देश हुआ।
पुराने मकान का हिस्सा लालबाबू को मिला, और शिवनारायण को दूसरे हिस्से में निर्माण की अनुमति दी गई।
लेकिन जमीन पर कब्जा और हिंसा आज भी जारी
शिवनारायण ने आरोप लगाया है कि उनकी सौतेली मां कन्या देवी, सौतेला भाई लालबाबू, तथा उसके सहयोगी मीरा देवी, सानिया देवी, विवेक और कोमल न केवल जमीन पर उनका कब्जा नहीं होने दे रहे, बल्कि जब वह खेत में काम करने जाते हैं तो लकड़ी और डंडों से मारते हैं, गालियां देते हैं, और जान से मारने की धमकियां देते हैं।
शिकायत में यह भी बताया गया है कि उक्त आरोपी बार-बार जमीन पर हमला करते हैं, बच्चों और पत्नी को भी डराते-धमकाते हैं, और शिवनारायण को जमीन पर झुकने तक नहीं देते।
प्रशासनिक चुप्पी और पुलिस की निष्क्रियता
शिवनारायण ने बताया कि उन्होंने थाना कुशेश्वर, अंचल कार्यालय, और जिला परिषद में कई बार शिकायत की, लेकिन कहीं से भी उन्हें न न्याय मिला, न सुरक्षा। पुलिस की निष्क्रियता के चलते आरोपियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे खुलेआम हमला करते हैं और गालियां देते हैं।
शिवनारायण कहते हैं:
“मेरे पास पंचायत का निर्णय है, वसीयतनामा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं, पढ़ाई छूट गई है, हम मजदूरी कर पेट पाल रहे हैं। जमीन है, फिर भी भूखे मर रहे हैं। जब भी खेत पर जाता हूं, ये लोग मिलकर पीटते हैं – सबसे ज्यादा मारती है मीरा, सानिया, कोमल और विवेक।”