मधेपुरा जिले के मुरलीगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत प्रखंड की रहने वाली 26 वर्षीय खुशबू कुमारी आज एक मिसाल बनकर उभरी हैं। मुश्किल परिस्थितियों और जिम्मेदारियों के बोझ के बीच उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि अपने परिवार के भविष्य को भी संवारने का बीड़ा उठाया।
खुशबू कुमारी की शादी पप्पू कुमार से हुई थी। उनके दो बेटियां हैं – बड़ी बेटी रिमझिम कुमारी, जिसकी उम्र महज 4 वर्ष है, और छोटी बेटी वर्षा कुमारी, जो अभी डेढ़ साल की है। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही दयनीय थी, लेकिन मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब उनके पति की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। पहले पप्पू कुमार अत्यधिक नशा करते थे, जिससे उनका मानसिक संतुलन धीरे-धीरे खराब होता गया। आज वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं, जिससे घर की जिम्मेदारी पूरी तरह खुशबू पर आ गई है।
खुशबू के पिता देवनारायण यादव भी लंबे समय से बीमार हैं और मां रेखा देवी घर की देखभाल में लगी रहती हैं। ऐसे में खुशबू कुमारी ने जनवरी 2024 में खुद कमाने का निर्णय लिया। उन्होंने बजाज फाइनेंस स्व सहायता समूह से ₹30,000 का लोन लेकर किस्तों में एक ई-रिक्शा खरीदा और सड़कों पर मेहनत का सफर शुरू किया।
ई-रिक्शा चलाना एक महिला के लिए आसान नहीं होता, खासकर जब घर में दो छोटे बच्चों की देखभाल भी करनी हो। लेकिन खुशबू हर सुबह हिम्मत के साथ ई-रिक्शा लेकर निकलती हैं ताकि अपने बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चला सकें। आज वे अपने दम पर पूरे परिवार का सहारा बनी हुई हैं।
खुशबू कहती हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे सड़कों पर गाड़ी चलानी पड़ेगी, लेकिन जब हालात सामने आए, तो मैंने हार मानने के बजाय खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार किया। मेरी बेटियों का भविष्य मेरे लिए सबसे अहम है।”
खुशबू कुमारी जैसी महिलाएं समाज में साहस, आत्मनिर्भरता और संघर्ष की एक जीवंत तस्वीर हैं। वे न सिर्फ अपने परिवार के लिए प्रेरणा हैं, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण हैं जो कठिनाइयों से घबराकर रुक जाती हैं।
आज जब देश महिला सशक्तिकरण की बात करता है, तब खुशबू जैसी महिलाएं बिना किसी मंच पर आए, अपने कर्मों से समाज को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही हैं। उनकी यह कहानी न सिर्फ दिल को छूती है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि अगर मन में हौसला हो, तो कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं होता।