पश्चिम बंगाल की रहने वाली पूर्णिमा मंडल (उम्र 24 वर्ष) एक गरीब और मेहनतकश महिला हैं, जो अपने तीन साल की बेटी और माता-पिता को लेकर जीवन-यापन के लिए संघर्ष कर रही हैं। लेकिन हाल के दिनों में उनके लिए यह संघर्ष और भी कठिन होता जा रहा है, क्योंकि उनके ही पड़ोसी परिवार द्वारा उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
पूर्णिमा मंडल का परिवार पीढ़ियों से उसी स्थान पर निवास करता आ रहा है। उनके पिता दुख मंडल समोसे की ठेला लगाकर जैसे-तैसे परिवार का पेट पालते हैं। माँ प्रतिमा मंडल भी घरेलू कामों में सहयोग करती हैं। बेहद गरीबी और कठिन परिस्थितियों के बावजूद यह परिवार अपनी मेहनत से जीवन चला रहा है। लेकिन, कमल मंडल (पति विजय मंडल), पुत्र अनुज मंडल और पत्नी झूमि मंडल
निखिल मंडल शोभ मंडल मानती मंडल छोटन मंडल नामक पड़ोसी परिवार द्वारा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
पूर्णिमा का कहना है कि उनके पड़ोसी, जिनके पास खुद का घर, मकान और सभी सुविधाएं हैं, फिर भी उन्हें जगह खाली करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उनकी तीन साल की मासूम बच्ची जब बाहर खेलने जाती है तो उसे भी अन्य बच्चों के साथ खेलने नहीं दिया जाता। बच्ची को भी तंग किया जाता है।
पूर्णिमा ने बताया कि प्रतिमा मंडल, जो उनकी माँ हैं, को एक-दो बार तो धक्का देकर गिराने की कोशिश भी की गई, जिससे उन्हें चोटें भी आई हैं। यह केवल जमीन या मकान की लड़ाई नहीं है, बल्कि एक गरीब परिवार की अस्मिता और अधिकारों पर सीधा हमला है।
पूर्णिमा का कहना है कि, “हम इतने गरीब हैं, हम कहां जाएंगे? हमारे पूर्वजों का घर है ये। लेकिन हमें डराया-धमकाया जा रहा है, ताकि हम खुद ही यहां से भाग जाएं।”
इस पूरे मामले को लेकर उन्होंने प्रशासन और मीडिया से गुहार लगाई है कि उनकी समस्या को गंभीरता से सुना जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
स्थानीय प्रशासन और समाजसेवियों से यह उम्मीद की जा रही है कि वे इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं और एक निर्दोष, मेहनतकश और गरीब परिवार को न्याय दिलाने में सहायता करें।