मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के मगवानी थाना अंतर्गत रहने वाले देवी प्रसाद पटेल (उम्र 45 वर्ष), जो पेशे से चाय-नाश्ते की दुकान चलाते हैं, ने गांवों में लगातार बढ़ती लावारिस गायों की समस्या पर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि गांव छोड़कर जा चुके लोगों की गायें सड़कों और गलियों में बेसहारा हालत में घूम रही हैं, जिससे हर दिन कोई न कोई दुर्घटना घट रही है।
देवी प्रसाद पटेल ने बताया कि इन गायों की देखरेख के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। सड़क पर लावारिस हालत में घूमती ये गायें न केवल खुद के लिए खतरा हैं, बल्कि राहगीरों के लिए भी जानलेवा बन रही हैं। “अक्सर सड़क पर अचानक गाय आ जाती है और वाहन चालकों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं,” उन्होंने कहा।
उनका कहना है कि कई बार मर चुकी गायें सड़कों किनारे पड़ी रहती हैं, जिन्हें कुत्ते-बिल्लियाँ नोचते रहते हैं। यह न केवल अमानवीय दृश्य है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी खतरनाक है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि “गौशालाओं का निर्माण होना चाहिए, जहां इन बेसहारा गायों की देखभाल की जाए। वहां नियमित रूप से बंदों की नियुक्ति हो जो उन्हें चारा-पानी दें और निगरानी रखें।”
देवी प्रसाद का मानना है कि यदि प्रशासन इस दिशा में गंभीर कदम उठाए और प्रत्येक पंचायत स्तर पर प्रॉपर गौशाला की व्यवस्था हो, तो इन हादसों को रोका जा सकता है और गायों को भी सम्मानपूर्वक जीवन मिल सकता है।
उन्होंने सरकार और स्थानीय प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द गांवों में स्थायी गौशालाएं बनाई जाएं, ताकि न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आए, बल्कि बेसहारा गायों को भी सुरक्षित स्थान मिल सके।
ग्रामीणों ने भी देवी प्रसाद की इस पहल की सराहना की है और मांग की है कि प्रशासन इस विषय पर जल्द कार्यवाही करे। यह मुद्दा केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा नहीं है, बल्कि मानवता और सार्वजनिक सुरक्षा का भी सवाल है।