मुंबई। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के एक गरीब दंपती की मेहनत पर प्रशासनिक कार्रवाई का साया मंडरा रहा है। सरीया (45) और उनके पति हीरालाल, जो मूल रूप से निचलौल तहसील के भेड़िया गांव के रहने वाले हैं, ने 15 दिन पहले मुंबई में चाय, पानीपुरी और भाजी का छोटा ठेला शुरू किया था। लेकिन अब उनकी रोज़ी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
आरोप है कि बाबू का धक्का, जगरिया रोड इलाके में नगर निगम के एक अधिकारी — जिन्हें लोग ‘संदेश साहब’ कहकर बुलाते हैं — आए दिन इनकी दुकान हटाने का दबाव बना रहे हैं। दंपती का कहना है कि इसी इलाके में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई लोग वर्षों से ऐसे ठेले और दुकानें चला रहे हैं, लेकिन उन पर कोई आपत्ति नहीं जताई जाती।
“हम सिर्फ दो वक्त की रोटी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं”
हीरालाल ने बताया, “हमने 15 दिन पहले ठेला शुरू किया। रोज़ सुबह से रात तक मेहनत करते हैं, तब जाकर घर का गुज़ारा होता है। लेकिन हर कुछ दिन में अधिकारी आते हैं और ठेला हटाने की धमकी देते हैं। बाकी ठेले वालों को कुछ नहीं कहते। हमें समझ नहीं आता कि सिर्फ हम पर ही कार्रवाई क्यों हो रही है।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह का रवैया न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि गरीबों के पेट पर लात मारने जैसा है। वे सवाल उठा रहे हैं कि अगर जगह पर ठेले अवैध हैं, तो कार्रवाई सभी पर होनी चाहिए, न कि चुनिंदा लोगों पर।
गरीब परिवार के सामने रोज़ी-रोटी का संकट
दंपती का कहना है कि वे मुंबई में किसी बड़े सपने के साथ नहीं आए, बस इतना चाहते हैं कि परिवार का भरण-पोषण हो सके। “गांव में रोजगार नहीं है, खेती से गुज़ारा नहीं होता, इसलिए शहर आए हैं। अब यहां भी अगर दुकान नहीं लगाने देंगे, तो हम जाएं तो कहां जाएं?” — सरीया ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने मामले की जांच और गरीब ठेले वालों को समान अधिकार देने की मांग की है। वहीं, नगर निगम अधिकारियों की ओर से अब तक इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
स्थानीय संवाददाता ई खबर मीडिया की रिपोर्ट




