जयपुर। चौमूं तहसील क्षेत्र के मोरीजा गांव में राजस्व विभाग की लापरवाही और मनमानी का एक बड़ा मामला सामने आया है। किसान प्रहलाद सैनी पुत्र प्रभूदयाल सैनी, निवासी बडवाली ढाणी, मोरीजा ने तहसीलदार चौमूं को एक आपत्ति पत्र सौंपकर खुलासा किया है कि उसकी खातेदारी भूमि के रकबे में मनमाने तरीके से कटौती कर दी गई और राजस्व रिकॉर्ड में गलत नक्शा व जमाबंदी जारी कर दी गई।
प्रहलाद सैनी ने अपने आपत्ति पत्र में लिखा है कि उसकी भूमि खसरा नम्बर 1157 और 1158 कुल रकबा 0.1400 हैक्टेयर है, जो पूर्व में खसरा नम्बर 523 और 524 के रूप में दर्ज थी। लेकिन 2 मार्च 2024 को तहसील प्रशासन ने प्रपत्र संख्या 7 जारी कर जमीन का नया रिकॉर्ड बनाते समय खसरा नम्बर 1157 का रकबा मात्र 0.100 हैक्टेयर और खसरा नम्बर 1158 का रकबा शून्य दिखा दिया। इतना ही नहीं, जमीन का कुछ हिस्सा खसरा नम्बर 3549 और 3563 में दर्शाते हुए कुल रकबा 0.1124 हैक्टेयर कर दिया गया। यानी वास्तविक जमीन से करीब 0.028 हैक्टेयर की कटौती कर दी गई।
किसान का आरोप है कि भू-प्रबंधन विभाग का दायित्व है कि जमाबंदी और नक्शा उसी रूप में तैयार किया जाए जैसा वर्तमान राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। लेकिन अधिकारियों ने जानबूझकर गलत रकबा दिखाकर छोटा नक्शा जारी कर दिया। इससे न केवल खातेदारों की जमीन कम दिखाई जा रही है बल्कि भविष्य में किसानों के अधिकारों पर भी संकट खड़ा हो सकता है।
प्रहलाद सैनी ने साफ कहा है कि इस पूरी कार्रवाई से यह साफ जाहिर होता है कि या तो विभागीय अधिकारी लापरवाह हैं या फिर किसी दबाव और साजिश के तहत किसानों की जमीन को गलत तरीके से कम कर दिखाया जा रहा है। उन्होंने तहसीलदार से मांग की है कि प्रपत्र संख्या 7 के आधार पर जारी की गई गलत जमाबंदी और नक्शे को तुरंत निरस्त कर सही रिकॉर्ड और नक्शा जारी किया जाए।
गांव के लोगों का कहना है कि यदि यह मामला जांच में सही पाया जाता है तो यह किसानों की जमीन हड़पने की बड़ी साजिश साबित हो सकती है। ग्रामीणों ने भी प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।