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दिल्ली–एनसीआर : 9 महीने के बच्चे की माँ लापता—नीरज कुमार न्याय की गुहार में

न्यू सीमापुरी A ब्लॉक, दिल्ली–95 का मामला

दिल्ली–एनसीआर के न्यू सीमापुरी A ब्लॉक से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने एक 9 महीने के मासूम बच्चे के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
बच्चे के पिता नीरज कुमार न्याय की मांग कर रहे हैं ताकि उनका छोटा सा बच्चा अपनी माँ से अलग न रहे और उसे वह देखभाल मिल सके जिसकी जरूरत हर बच्चे को होती है।

ढाई साल पहले हुआ प्रेम विवाह—अब टूटा परिवार, रोता मासूम

नीरज कुमार चुने का काम करते हैं।
उनकी पत्नी ज्योति से मुलाकात तब हुई जब वे उसी फैक्ट्री में काम कर रहे थे जहाँ ज्योति के पिता अजय नौकरी करते थे।

पहचान बढ़ी, प्यार हुआ, और परिवारों के विरोध के बावजूद दोनों ने शादी कर ली।
शादी को ढाई साल और घर में एक 9 महीने का बेटा—यह सब मिलकर एक खुशहाल जीवन की तस्वीर बन रहे थे।
पर धीरे-धीरे यह तस्वीर बिखरने लगी।

पति का कहना—बच्चा बहुत छोटा है, माँ के बिना परेशान हो रहा है

नीरज का कहना है कि उनका बेटा सिर्फ 9 महीने का है—
“इतना छोटा बच्चा माँ के बिना कैसे रहेगा? दूध, दवा, देखभाल… सब माँ के हाथ से होना चाहिए। मैं 10–12 घंटे काम करता हूँ, बच्चा मेरी गोद में रोता रहता है। उसका कोई कसूर नहीं है… उसे उसकी माँ मिलनी चाहिए।”

यह अपील सिर्फ पिता की नहीं, बल्कि एक मासूम की जरूरत का मामला है।

9 और 12 नवंबर: दो बार घर छोड़कर गई पत्नी

9 नवंबर की शाम ज्योति बिना बताए घर छोड़कर चली गई।
गुमशुदगी की शिकायत के बाद 11 नवंबर को वापस आई।

लेकिन 12 नवंबर की सुबह फिर से घर छोड़कर चली गई।
नीरज का आरोप है कि जाते समय उसने कहा—

“मैं दूसरी शादी कर चुकी हूँ।”

यह बात सिर्फ पति को ही नहीं, बल्कि पूरे मोहल्ले को हैरान कर देने वाली है।
पर सच क्या है—इस पर अभी तक ज्योति की ओर से कोई साफ बयान नहीं आया है।

मासूम की परवरिश सबसे बड़ी प्राथमिकता, कहते हैं पड़ोसी

न्यू सीमापुरी A ब्लॉक में लोग इस स्थिति से दुखी हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है—

“जो भी विवाद हो, बच्चा उसकी कीमत क्यों चुकाए?”

“इतने छोटे बच्चे को माँ चाहिए। चाहे काउंसलिंग हो या कानूनी मदद—बच्चे का भविष्य सबसे पहले आए।”

स मामले में समाज भी एक ही बात कह रहा है: बच्चे को उसकी माँ से दूर नहीं होना चाहिए।

पुलिस और प्रशासन से नीरज की गुहार—बच्चे का भविष्य सुरक्षित किया जाए

नीरज चाहते हैं कि पुलिस और प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि—

1. बच्चा अपनी माँ के संरक्षण में रहे

2. मामले में निष्पक्ष काउंसलिंग हो

3. ज्योति सामने आकर अपनी स्थिति बताए

4. बच्चे के हित को प्राथमिकता देते हुए कदम उठाए जाएँ

नीरज का कहना है—

“मैं सिर्फ इतना चाहता हूँ कि मेरा बच्चा अपनी माँ की गोद में पल सके। उसके जीवन से उसकी माँ गायब न हो जाए।”

सवाल: क्या व्यक्तिगत विवादों की कीमत एक 9 महीने के बच्चे को चुकानी पड़ेगी?

कानून हो या समाज—दोनों ही मानते हैं कि
एक मासूम का अधिकार है कि वह अपनी माँ की देखभाल पाए।

इस मामले में सबसे बड़ी चिंता पति-पत्नी की नहीं, बल्कि उस बच्चे के भविष्य की है जो अभी बोल भी नहीं सकता।
जिसकी पूरी दुनिया सिर्फ उसकी माँ की गोद है।

नीरज की अपील

“मेरी पत्नी जहां भी हो, कम-से-कम अपने बच्चे के लिए सामने आए… बच्चे को उसकी माँ मिल जाए, यही न्याय है।”

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