स्वास्थ्य सेवाओं में फर्जीवाड़े के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। नागपुर और शहडोल में फर्जी डिग्री के डॉक्टर और प्रॉपर्टी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है।
नागपुर की घटना
नागपुर के डॉ. विजय द्विवेदी के क्लिनिक में जबलपुर की यादव कॉलोनी निवासी वी.पी. खन्ना का इलाज हुआ। इलाज के दौरान खन्ना की मृत्यु हो गई। मरीज के साथ कोई परिजन मौजूद न होने का फायदा उठाकर डॉ. विजय ने फर्जी वसीयत बनवाई और नागपुर की नोटरी से इसे सत्यापित करवा लिया।
इसके बाद यह मामला जबलपुर आधारताल तहसील में पहुंचा। तहसीलदार धुर्वे ने बाबू मिलन वरकड़े के दबाव में फर्जी नामांतरण प्रक्रिया को मंजूरी दी। जब तहसील के अन्य अधिकारियों को यह फर्जीवाड़ा पता चला, तो धारा 32 के तहत इसे निरस्त कर दिया गया। लेकिन मिलन वरकड़े ने दोबारा तहसीलदार धुर्वे से मामला पास करवा लिया।
डॉ. विजय ने मकान किसी अन्य पार्टी को बेच दिया और फरार हो गए। तहसीलदार धुर्वे को इस घोटाले में संलिप्तता के चलते जेल भेज दिया गया है।
शहडोल का मामला
शहडोल के श्री राम हेल्थ केयर सेंटर में फर्जी डिग्री वाले डॉक्टरों द्वारा इलाज किए जाने की खबरें सामने आईं। कई महिलाओं की डिलीवरी और डायलिसिस के दौरान मौत हो चुकी है। सीएमएचओ एम.एस. सागर पर आरोप है कि उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय में फर्जी दस्तावेज, फर्जी रिपोर्ट और फर्जी एफिडेविट पेश किए।
प्रशासन की उदासीनता
नागपुर के डॉ. विजय द्विवेदी और शहडोल के सीएमएचओ एम.एस. सागर अभी कानून की गिरफ्त से बाहर हैं। वहीं, जबलपुर के प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई कर तहसीलदार धुर्वे को जेल भेजा।
जनता की मांग
आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में न्याय की कमी से लोग आक्रोशित हैं। स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों फर्जी डॉक्टर और अधिकारियों पर अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।
राजेश कुमार विशनदासानी, शहडोल, मध्य प्रदेश