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मृतक डॉ. पायल तडवी केस में सरकारी वकील प्रदीप घरत की नियुक्ति बहाल करने की मांग

जलगांव: मृतक डॉ. पायल तडवी मामले में सरकारी वकील श्री प्रदीप घरत की नियुक्ति रद्द किए जाने के बाद पुनः उनकी ही नियुक्ति की मांग को लेकर राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, बहुजन मुक्ती पार्टी, आफ्रोट संघटना और अन्य सामाजिक संगठनों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।

इस दौरान राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के प्रदेश महासचिव मा. अँड. रणजीत तडवी, बहुजन मुक्ती पार्टी जामनेर तालुका अध्यक्ष मा. श्री. राहुल सपकाळे, आफ्रोट संघटने के प्रतिनिधि श्री लुकमान तडवी (चिपळूण), आदिवासी तडवी भिल्ल महिला मंडल जलगांव की सचिव श्रीमती मंजू तडवी, श्री बशारत तडवी समेत मृतक डॉ. पायल तडवी के माता-पिता भी उपस्थित रहे।

मृतक डॉ. पायल तडवी एक प्रतिभाशाली आदिवासी डॉक्टर थीं, जिनकी मौत ने पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बना दिया था। डॉ. पायल तडवी ने कथित रूप से अपने मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टरों द्वारा किए गए मानसिक उत्पीड़न के कारण आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में सरकारी वकील श्री प्रदीप घरत ने शुरुआत से ही मजबूती के साथ केस की पैरवी की थी, लेकिन हाल ही में उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था।

संगठनों का कहना है कि श्री प्रदीप घरत ने इस केस में पीड़ित पक्ष के लिए बेहद प्रभावी ढंग से न्याय की लड़ाई लड़ी है। ऐसे में उनकी नियुक्ति रद्द किया जाना न्याय प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

प्रस्तुत ज्ञापन में संगठनों ने मांग की है कि डॉ. पायल तडवी को न्याय दिलाने के लिए सरकारी वकील के रूप में श्री प्रदीप घरत को पुनः नियुक्त किया जाए। संगठनों का मानना है कि वे इस केस को अच्छे से समझते हैं और उनके अनुभव के कारण ही अब तक मामले में मजबूत पैरवी संभव हो पाई है।

रणजीत तडवी (राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद महासचिव) ने कहा कि, “यह मामला केवल पायल तडवी के परिवार का नहीं है, बल्कि पूरे आदिवासी समाज का मुद्दा है। न्याय की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप समाज के लिए अन्यायपूर्ण होगा।”

राहुल सपकाळे (बहुजन मुक्ती पार्टी) ने कहा कि, “श्री प्रदीप घरत एक अनुभवी वकील हैं और उन्होंने इस केस में निष्पक्षता से कार्य किया है, उनकी पुनः नियुक्ति आवश्यक है।”

मृतका डॉ. पायल तडवी के माता-पिता ने भी जिलाधिकारी से गुहार लगाई कि उन्हें अपनी बेटी के लिए न्याय चाहिए और इसमें श्री प्रदीप घरत का विशेष योगदान रहा है, इसलिए उनकी पुनः नियुक्ति की जाए।

जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। साथ ही, समाज के प्रतिनिधियों की इस मांग पर विचार कर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजने का भरोसा दिलाया है।

यह मामला अब पूरे आदिवासी समाज के लिए एक अहम मुद्दा बन गया है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की है।

ई खबर मीडिया स्थानीय संवाददाता जलगांव बशीर परमान तड़वी की रिपोर्ट

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