छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश | 2 अगस्त 2025
हरदुआमाल स्थित आदिवासी बालक आश्रम में वर्षों से सेवा दे रही विनीता मालवी, जो आश्रम में बिस्तर धुलाई, सफाई और रसोई का कार्य करती थीं, हाल ही में आश्रम से निकाले जाने के बाद गहरे संकट में हैं। विनीता मालवी ने जिले के कलेक्टर व सहायक आयुक्त, पुक्त जनजातीय कार्य विभाग को एक भावुक प्रार्थना पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने अपनी और अपने बच्चों की दुर्दशा का विस्तार से उल्लेख किया है।
विनीता मालवी, जो ग्राम हरदुआमाल की निवासी हैं, का कहना है कि वे पिछले 8–9 वर्षों से आश्रम में ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य कर रही थीं। इस दौरान उनके कार्य के संबंध में किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं रही। परंतु हाल ही में नियुक्त एक नई अधीक्षिका, जिनकी नौकरी को अभी तीन वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं, ने उन्हें बिना किसी ठोस कारण के आश्रम से निकाल दिया।
विनीता का कहना है कि उनका एक बेटा मिडिल स्कूल में और एक बेटी हाई स्कूल में पढ़ाई कर रही है। आश्रम से निकाले जाने के कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है, जिससे बच्चों की पढ़ाई और जीवनयापन पर गहरा असर पड़ा है। विनीता का यह भी कहना है कि इस मानसिक तनाव और चिंता के कारण वे आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने की स्थिति में पहुँच गई हैं।
अपने आवेदन में उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है —
“मुझे आश्रम से निकालने के कारण मैं और मेरे बच्चे मानसिक असंतुलन का शिकार हो गये हैं। उनका पालन पोषण एवं पढ़ाई मैं कैसे करू इसी चिंता के कारण मैं आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई हूँ।”
विनीता ने कलेक्टर महोदय व सहायक आयुक्त से अपील की है कि वे उनकी पारिवारिक और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें पुनः आश्रम में कार्य करने की अनुमति प्रदान करें ताकि उनके बच्चों की पढ़ाई और उनका जीवन फिर से सामान्य हो सके।
स्थानीय लोगों के अनुसार, विनीता मालवी एक मेहनती और समर्पित महिला हैं, जिन्होंने वर्षों तक बिना किसी शिकायत के आश्रम में सेवा दी। अब जब उन्हें नौकरी से बाहर कर दिया गया है, तो प्रशासन को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए।
यह मामला केवल एक महिला की नौकरी का नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार के भविष्य से जुड़ा हुआ है।
संपर्क: विनीता मालवी
ग्राम: हरदुआमाल, जिला छिंदवाड़ा (म.प्र.)
मोब.: 6264509651