मालदा (पश्चिम बंगाल)।
मालदा जिले के योजना गांव की रहने वाली 36 वर्षीय अमृता मंडल आज कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए अपनी आवाज़ के सहारे जीवन की लड़ाई लड़ रही हैं। बीते डेढ़ साल से वह खुद के लिखे और खुद की आवाज़ में गाने गाकर वीडियो बना रही हैं। उनके गाने दर्द, संघर्ष और उम्मीद की सच्ची कहानी बयां करते हैं।
अमृता मंडल के पति का कुछ समय पहले निधन हो चुका है, जिसके बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। वह तीन छोटे बच्चों की मां हैं। पति के जाने के बाद घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई। कभी-कभी मजदूरी कर वह अपने बच्चों का पेट पालती हैं और उसी से उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी उठाने की कोशिश कर रही हैं।
अमृता का कहना है,
“हर दिन एक नई चुनौती लेकर आता है। यह सोचकर रातों की नींद उड़ जाती है कि अपने बच्चों का भविष्य कैसे संवारूं। मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बनें, लेकिन संसाधन बहुत सीमित हैं।”
वह सोशल मीडिया पर अपने गानों के जरिए पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं। उनका सपना है कि उनके गाने लोगों तक पहुंचें, उन्हें पसंद किए जाएं और किसी दिन उन्हें स्टूडियो में गाने का मौका मिले, जिससे वह अपने बच्चों को बेहतर जीवन दे सकें।
गांव के लोग भी अमृता की मेहनत और हिम्मत की सराहना करते हैं। एक ग्रामीण ने बताया,
“इतनी परेशानियों के बावजूद वह हिम्मत नहीं हारी हैं। अपनी आवाज़ के जरिए वह संघर्ष को ताकत में बदल रही हैं।”
अमृता मंडल की कहानी उन हजारों महिलाओं की कहानी है जो अकेले ही परिवार की जिम्मेदारी उठाकर समाज में मिसाल कायम कर रही हैं। जरूरत है कि ऐसे प्रतिभाशाली और संघर्षशील लोगों को मंच मिले, ताकि उनकी मेहनत रंग ला सके।




