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नाबालिग पायल ओझा को बहला-फुसलाकर भगाने का मामला: एक माह बाद भी कार्रवाई नहीं, पिता का फूटा दर्द—”कैसा कानून है हमारा?”

गुना, मध्य प्रदेश: खटकिया रोड कुम्भराज निवासी रामस्वरूप ओझा ने जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र सौंपकर गहरी नाराजगी और पीड़ा व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि उनकी नाबालिग बेटी पायल ओझा, जिसकी उम्र मात्र 16 वर्ष है, एक माह पहले इंदौर से मोहन मीना नामक युवक द्वारा बहला-फुसलाकर ले जाई गई है, लेकिन अब तक उसका कोई पता नहीं चल पाया है। पिता का कहना है कि बच्ची जिंदा है या नहीं, इसका भी कोई अता-पता नहीं है।

रामस्वरूप ओझा का आरोप है कि कुम्भराज और इंदौर पुलिस पूरी तरह लापरवाह है और कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रही है। पुलिस विभाग के लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। रिश्वत लेकर अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं। पुलिसकर्मी खुद अपराधियों से मिले हुए हैं।”

आजाद नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी गई है परंतु आज तक अधिकारियों ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की पिता इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहा है

पिता ने बताया कि आरोपी मोहन मीना निवासी बितलवाला गांव, जिसकी मां का नाम लीलाबाई है, लगातार बच्चों का अपहरण करने जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त है। गांव के कई लोग इनकी मदद कर रहे हैं लेकिन कोई भी बच्ची के ठिकाने की जानकारी नहीं दे रहा। उन्होंने दुख जताते हुए कहा, “हमारी बेटी को कहां गुमराह करके रखा गया है, ये कोई नहीं बताता। चार हफ्ते बीत चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरा गांव जानता है, पर सब चुप हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि, “हमारा जीवन बर्बाद हो चुका है, बच्चों का भविष्य नष्ट हो गया है। हम थक चुके हैं, रो-रोकर आंखें सूख चुकी हैं। सरकार से लेकर प्रशासन तक, कोई हमारी नहीं सुन रहा। अगर रिश्वत के बिना इंसाफ नहीं मिलेगा, तो फिर ये कैसा कानून है?”

क्या है पूरा मामला

“नाबालिग पायल ओझा को बहला-फुसलाकर भगाने का सनसनीखेज मामला: एक माह बाद भी पुलिस नाकाम, पिता की चीख – ‘क्या बेटी का कोई मोल नहीं इस देश में?’

गुना, मध्य प्रदेश – इंसाफ के नाम पर केवल कागजों में गूंज रही व्यवस्था का एक और शर्मनाक चेहरा सामने आया है। कुम्भराज थाना क्षेत्र के खटकिया रोड निवासी रामस्वरूप ओझा की 16 वर्षीय बेटी पायल ओझा को एक महीने पहले इंदौर के रहने वाले मोहन मीना नामक युवक द्वारा बहला-फुसलाकर भगाया गया, लेकिन आज तक उसका कोई सुराग नहीं लग पाया है। थक-हारकर अब पीड़ित पिता जिला पुलिस अधीक्षक के दरवाजे पर गुहार लगाने पहुंचे, लेकिन वहां भी सिर्फ आश्वासन मिला, इंसाफ नहीं।

रोते हुए रामस्वरूप ओझा ने कहा – “चार हफ्ते बीत चुके हैं, बेटी जिंदा है या नहीं, इसका भी हमें पता नहीं। पुलिस की निष्क्रियता ने हमें जीते जी मार दिया है। हम गरीब हैं, क्या हमारी बेटियों की कोई कीमत नहीं?”

पुलिस की चुप्पी पर सवालिया निशान
पीड़ित परिवार का आरोप है कि कुम्भराज और इंदौर पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय और लापरवाह बनी हुई है। ना कोई दबिश, ना कोई छानबीन। पिता का कहना है कि जब-जब थाने गए, तो उल्टे उन्हें ही सवालों के घेरे में ले लिया गया। उन्होंने कहा, “क्या हमें अपनी ही बच्ची को खोजने के लिए रिश्वत देनी होगी? रिश्वत के बिना क्या अब FIR पर भी कार्रवाई नहीं होती?”

आरोपी का आपराधिक इतिहास, फिर भी आज़ाद घूम रहा
पिता ने बताया कि आरोपी मोहन मीना, निवासी पीतलवाला गांव, पहले भी ऐसे मामलों में संलिप्त रहा है। उसकी मां लीलाबाई के संरक्षण में यह युवक गांव की मासूम लड़कियों को शिकार बना रहा है। “पूरा गांव जानता है कि वह कहां है, पर कोई नहीं बोलता, मानो डर और पैसे ने सबकी जुबान सी दी हो,” उन्होंने बताया।

गांव में खामोशी, प्रशासन में नजदीकियां?
बताया जा रहा है कि आरोपी के गांव में उसके कई रिश्तेदार और साथी उसे बचा रहे हैं। पिता का दावा है कि राजनीतिक और प्रशासनिक संबंधों के कारण मोहन मीना अब तक कानून की पकड़ से बाहर है। “अगर यही हाल रहा, तो हम आम लोग कहां जाएंगे? क्या हम अपनी बेटियों को यूं ही गायब होते देखते रहेंगे?”

आखिरी उम्मीद: मीडिया और जनता से न्याय की अपील
अपनी टूटती आवाज़ में रामस्वरूप ओझा ने कहा – “हमारा सबकुछ लुट चुका है। अब केवल मीडिया और जनता ही हमारी उम्मीद हैं। मेरी बेटी को वापस लाओ। चाहे ज़मीन-आसमान एक करना पड़े, मैं चुप नहीं बैठूंगा।”

अब सवाल उठता है – एक नाबालिग लड़की के गायब होने के बावजूद अगर पुलिस एक महीने तक चुप्पी साधे बैठी है, तो क्या यह संवैधानिक व्यवस्था की असफलता नहीं?

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