सहरसा (बिहार): कांप प्रखंड के चौड़न्डा गांव स्थित उत्तम माध्यमिक विद्यालय में एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। विद्यालय में पढ़ने वाला छात्र प्रिंस कुमार, पुत्र जितेंद्र कुमार जब स्कूल में खेल रहा था, उसी दौरान एक लड़के से टकराकर गंभीर रूप से घायल हो गया। यह हादसा उस समय हुआ जब सभी बच्चे लंच ब्रेक में थे।
प्रिंस के पिता जितेंद्र कुमार ने मीडिया से बातचीत में बताया कि “प्रिंस की हालत बेहद गंभीर है और वह कोमा में है।” उनका आरोप है कि प्रधानाध्यापक और दो अन्य शिक्षकों ने मिलकर आरोपी छात्र को मौके से भगा दिया। साथ ही, घटना को दबाने की कोशिश करते हुए प्रधानाध्यापक ने मात्र ₹100 देकर समझौता करने की बात कही।
जितेंद्र ने बताया कि वह काम के सिलसिले में बाहर हैं और गांव पहुंचने में तीन दिन का समय लगेगा। उन्होंने कहा, “तीन दिन बाद मैं थाने में शिकायत दर्ज करूंगा। पर सवाल यह है कि अगर मेरे बच्चे को कुछ हो गया, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?”
जितेंद्र का यह भी कहना है कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे अस्पताल का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने शासन-प्रशासन से इस मामले में वित्तीय सहायता की मांग की है।
पीड़ित परिजन जब स्कूल पहुंचे तो शिक्षकों ने बदतमीजी की और कहा, “क्या सबूत है कि हमने ऐसा किया है?”
अब परिजन मांग कर रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और घायल छात्र को इलाज के लिए आर्थिक मदद दी जाए।
क्या है पूरा मामला
उत्तम विद्यालय बना लापरवाही का अड्डा: मासूम प्रिंस मौत से जूझ रहा, स्कूल प्रशासन ने दिए सिर्फ ₹100, पिता की प्रशासन से रोते हुए गुहार – “मेरा बच्चा बचा लो”
चौड़न्डा गांव के उत्तम माध्यमिक विद्यालय में एक दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया है, जिसने न सिर्फ एक मासूम की जिंदगी को अंधेरे में धकेल दिया, बल्कि स्कूल प्रशासन की क्रूरता और संवेदनहीनता की पोल भी खोल दी है।
प्रिंस कुमार, पुत्र जितेंद्र कुमार, उस समय स्कूल में खेल रहा था जब लंच ब्रेक के दौरान एक अन्य छात्र से टकराकर बुरी तरह घायल हो गया। हादसा इतना भीषण था कि प्रिंस मौके पर ही बेहोश हो गया और अब वह कोमा में है। लेकिन इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि स्कूल के प्रधानाध्यापक और दो शिक्षकों ने मिलकर आरोपी छात्र को मौके से भगा दिया और घटना को छिपाने के लिए प्रिंस के परिवार को ₹100 थमाकर चुप रहने की कोशिश की।
क्या एक बच्चे की जिंदगी की कीमत सिर्फ ₹100 है?
प्रिंस के पिता जितेंद्र कुमार, जो रोज़ी-रोटी के लिए गांव से बाहर हैं, जब मीडिया से बात कर रहे थे, तो उनकी आँखों में आंसू थे। उन्होंने कहा, “अगर मेरे बच्चे को कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या प्रधानाध्यापक? क्या वो टीचर जो पैसे देकर हमें खरीदना चाहते हैं?”
उन्होंने यह भी बताया कि जब उनकी बहन, मां और चाचा स्कूल पहुंचे तो शिक्षकों ने उनसे बदतमीजी की, झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी दी और कहा, ‘क्या सबूत है कि हमने आरोपी को भगाया?’ इस व्यवहार ने परिजनों को और भी गुस्से और ग़म में डुबो दिया।
मासूम जिंदगी ICU में लड़ रही है जंग, पिता मदद को तरस रहे हैं। जितेंद्र का कहना है कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अस्पताल का खर्च उठा सकें। उन्होंने राज्य सरकार, ज़िला प्रशासन और समाज से आर्थिक मदद और न्याय की गुहार लगाई है।
अब सवाल यह है:
क्या स्कूल प्रशासन ऐसे मामलों को पैसे से दबा देगा?
क्या मासूमों की ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं?
क्या प्रशासन अब भी चुप रहेगा?