Saturday, August 2, 2025
13.5 C
London

मनमानी कार्रवाई या प्रशासनिक अन्याय? भाजपा अल्पसंख्यक कार्यकर्ता अब्दुल वहीद के घर पर बुलडोज़र, न्यायिक आदेश की अवहेलना का आरोप

बिना आदेश बुलडोज़र चला, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ता अब्दुल वहीद का मकान ध्वस्त

उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले के धौरापार अव्वल गांव में एक गंभीर मामला सामने आया है जहाँ नगर पंचायत मेहदावल पर न्यायिक आदेश की अवहेलना और राजनीतिक भेदभाव के आरोप लगे हैं। पीड़ित अब्दुल वहीद, जो भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं, ने आरोप लगाया है कि उनका पुश्तैनी मकान 25 जुलाई 2025 को बिना किसी वैध प्रशासनिक या न्यायिक आदेश के तोड़ दिया गया।

“यह सिर्फ मकान नहीं टूटा, हमारा विश्वास टूटा है” — अब्दुल वहीद

अब्दुल वहीद के अनुसार, उनका मकान उस भूमि पर बना था, जिसे वर्ष 2021 में उपजिलाधिकारी मंदावल द्वारा ‘आबादी घोषित’ किया जा चुका था। बावजूद इसके, नगर पंचायत मेहदावल ने अतिक्रमण बताकर नोटिस संख्या 15370/07111 जारी किया।

हालांकि, इस नोटिस के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका (PIL No. 10380/2005) दाखिल की गई, जिसमें 27 दिसंबर 2023 को न्यायालय द्वारा स्पष्ट ‘स्थगन आदेश’ (Stay Order) पारित किया गया। इसके अनुसार, जब तक न्यायालय से कोई अगला आदेश न हो, तब तक कोई भी निर्माण हटाया नहीं जा सकता।

इसके बावजूद, अब्दुल वहीद के अनुसार, 25 जुलाई को नगर पंचायत अधिकारी बिना नोटिस और बिना न्यायालय के किसी आदेश के, पुलिस बल के साथ आए और मकान का हिस्सा गिरा दिया।

“महिलाओं ने कोर्ट आदेश दिखाया, फिर भी बुलडोज़र नहीं रुका”

पीड़ित परिवार का आरोप है कि घर में मौजूद महिलाओं ने स्थगन आदेश की प्रतिलिपि दिखाकर विरोध किया, लेकिन न अधिकारियों ने कोई सुनवाई की, न पुलिसकर्मियों ने कार्रवाई रोकी। इस घटना में घर का कीमती सामान टूट गया, और परिवार को मानसिक और आर्थिक दोनों तरह से गहरा नुकसान हुआ।

राजनीतिक बदले की कार्रवाई का आरोप

अब्दुल वहीद ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा: “मैं भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता हूँ, अल्पसंख्यक मोर्चा में जिम्मेदार भूमिका निभाता रहा हूँ। शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती बन गई। अधिकारीगण लगातार पूर्वग्रह से ग्रसित होकर मेरे घर को निशाना बना रहे हैं।”

उन्होंने दावा किया कि नगर पंचायत के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से उनके मकान को टारगेट किया गया, जबकि अन्य पक्ष – पिता दशरथ पुत्र संतोष और पिता हदीस पुत्र अजीज – जिनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें छेड़ा तक नहीं गया।

मकान पर दीवानी वाद लंबित, फिर भी कार्रवाई क्यों?

शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि ज़मीन को लेकर दीवानी न्यायालय में मुकदमा अभी भी लंबित है। ऐसे में नगर पंचायत द्वारा किसी प्रकार की एकतरफा तोड़फोड़ की कार्रवाई करना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।

यह भी सवाल उठता है कि जब मामला अदालत में है और स्टे ऑर्डर मौजूद है, तब क्या स्थानीय निकाय को ऐसा हस्तक्षेप करने का अधिकार है?

अब्दुल वहीद की प्रशासन से 5 मुख्य माँगें

1. नगर पंचायत मेहदावल के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कानूनी कार्रवाई हो

2. बिना आदेश बल प्रयोग करने वाले पुलिस कर्मियों की जांच हो

3. आर्थिक नुकसान की क्षतिपूर्ति दी जाए

4. न्यायालय के आदेश की अवहेलना की निष्पक्ष जांच कराई जाए

5. राजनीतिक और धार्मिक कारणों से उत्पीड़न न किया जाए

कानून और संविधान की खुली अवहेलना?

इस घटना ने प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:

क्या किसी स्थानीय निकाय को बिना कोर्ट आदेश नागरिक की संपत्ति तोड़ने का अधिकार है?

क्या राजनीतिक और धार्मिक पहचान किसी नागरिक को निशाना बनाए जाने का आधार बन सकती है?

क्या न्यायिक आदेश की खुलेआम अवहेलना “राज्य के कानून के राज” पर प्रश्नचिह्न नहीं है?

Hot this week

यूएएस रद्द करने की मांग को लेकर खंड शिक्षा अधिकारी को मांग पत्र

स्थान:- धर्मगढ़ ,कालाहाण्डी, ओड़िसा स्लगन- यूएएस रद्द करने की मांग...

भूटान के सैनिक की मध्य प्रदेश में डूबने से मौत, पांच महीने की ट्रेनिंग पर भारत आया था

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के प्रसिद्ध स्थल पचमढ़ी...

Topics

यूएएस रद्द करने की मांग को लेकर खंड शिक्षा अधिकारी को मांग पत्र

स्थान:- धर्मगढ़ ,कालाहाण्डी, ओड़िसा स्लगन- यूएएस रद्द करने की मांग...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img