अकलेरा, झालावाड़। ग्राम घाटोली में विवादित भूमि को लेकर चल रहे एक पुराने विवाद में न्यायालय के स्पष्ट स्थगन आदेश की अवहेलना करने का गंभीर मामला सामने आया है। प्रार्थी अंकित कुमार पुत्र राजेन्द्र कुमार निवासी घाटोली ने इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक झालावाड़ को विस्तृत शिकायत प्रस्तुत कर न्यायालय की अवमानना एवं फर्जी दस्तावेज तैयार कर कब्जा जमाने के आरोप लगाए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वादी अंकित कुमार ने उपखण्ड अधिकारी न्यायालय अकलेरा में धारा 188 राजस्थान टी. एक्ट तथा धारा 212 के अंतर्गत वाद दायर कर वर्ष 2015 में स्थगन आदेश जारी करवाया था। आदेश में स्पष्ट रूप से खाता संख्या 139 के खसरा नम्बर 1220, 1222 तथा 2151/1221 की कुल 5 बीघा 14 बिस्वा भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण, खुदाई अथवा परिवर्तन प्रतिबंधित किया गया था।
शिकायत के अनुसार, स्थगन आदेश के बावजूद संबंधित पक्षों ने राजस्व रिकॉर्ड में बिना विधिक विभाजन कराए, उक्त भूमि को प्लॉटिंग कर ग्राम पंचायत से पट्टे जारी करवा लिये। आरोप है कि फर्जी डिक्री बनवाकर रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी की गई तथा कब्जा जमाने के लिए जबरन निर्माण कार्य शुरू किया गया। प्रार्थी ने आरोप लगाया कि उनकी गेहूं की फसल नष्ट कर दी गई और गोदाम को तोड़कर दो मंजिला मकान खड़ा कर दिया गया।
शिकायत में कहा गया है कि जब प्रार्थी ने इसका विरोध किया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। प्रार्थी का कहना है कि प्रतिवादी पक्ष खुलेआम कह रहा है कि “पैसे के बल पर कानून को खरीद लिया गया है और अब किसी की कोई औकात नहीं।”
गौरतलब है कि उक्त भूमि पर वर्ष 2015 से न्यायालय द्वारा स्टे ऑर्डर लागू है, बावजूद इसके राजस्व विभाग व पंचायत की मिलीभगत से रजिस्ट्रियां व पट्टे जारी किए जाने की बात कही जा रही है। प्रकरण में संलिप्त व्यक्तियों के नाम पूर्व में दाखिल वाद के अनुसार गीताबाई पत्नी भूरालाल, बलवीर वल्द भूरालाल, राधेश्याम के परिजन सहित अन्य लोग बताए गए हैं।
इस बीच, पुलिस उप अधीक्षक वृत्त अकलेरा के कार्यालय से तहसीलदार अकलेरा को पत्र भेजकर यह रिपोर्ट मांगी गई है कि उक्त खसरा संख्या की भूमि में किन-किन व्यक्तियों के नाम रजिस्ट्री की गईं, क्या भूमि आबादी क्षेत्र में आती है या नहीं, तथा जमाबंदी व रजिस्ट्री की प्रमाणित छायाप्रतियां शीघ्र उपलब्ध कराई जाएं।
प्रार्थी ने मांग की है कि समस्त फर्जी दस्तावेज तत्काल निरस्त कर दोषियों के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना व षड्यंत्र रचने की कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके विरुद्ध झूठे मुकदमे दर्ज कराने की धमकी देकर उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।
इस गंभीर प्रकरण में प्रशासन व उच्चाधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन व पुलिस न्यायालय के आदेश की रक्षा और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं।
ई खबर मीडिया ब्यूरो झालावाड़