आज मैं आपको उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मझिला थाना क्षेत्र के नई बस्ती गांव की एक दिल दहला देने वाली घटना के बारे में बताने जा रहा हूं। यह घटना आज सुबह 13 जनवरी 2025 को करीब 10:00 बजे की है। यहां महिलाओं और लड़कियों के साथ खुलेआम अत्याचार हो रहा है, और प्रशासन पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है।
गांव की मुखिया कविता और उनकी चार बेटियां इन दिनों दबंगों के कहर का शिकार हो रही हैं। इन दबंगों के नाम उपेंद्र, प्रद्युमन और उनकी मां बताए जा रहे हैं। ये लोग महिलाओं को घर में घुसकर मार रहे हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि हमारे समाज में ऐसी घटनाएं आज भी हो रही हैं?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब पीड़ित परिवार ने 112 नंबर पर फोन करके मदद मांगी, तब भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई। आखिर क्यों? क्या हमारा सिस्टम इतना लापरवाह हो चुका है कि महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी नहीं ले सकता?
दोस्तों, जब पीड़ित परिवार को थाने में कोई सुनवाई नहीं मिली, तो उन्होंने मीडिया का सहारा लिया। और आज मैं यहां आपकी आवाज बनकर आया हूं। अब सवाल यह उठता है कि जब पुलिस को सब कुछ पता है, सबूत भी हैं, शिकायत भी दर्ज है, तो फिर आरोपियों को पकड़ने में देरी क्यों हो रही है?
यह हमारे समाज और प्रशासन के लिए एक कड़ा सवाल है। आखिर कब तक हमारी बहनें और बेटियां असुरक्षित रहेंगी? कब तक दोषियों को खुलेआम घूमने दिया जाएगा?
अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर आवाज उठाएं। प्रशासन से सवाल करें। हमें न्याय चाहिए और वह भी तुरंत।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश: हरदोई के नई बस्ती गांव में दहशत, महिलाओं और लड़कियों पर खुलेआम अत्याचार, पुलिस बनी मूकदर्शक
हरदोई जिले के मझिला थाना क्षेत्र के नई बस्ती गांव से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। गांव में महिलाओं और लड़कियों को खुलेआम मारा-पीटा जा रहा है, लेकिन प्रशासन कोई कार्रवाई करने में असमर्थ दिखाई दे रहा है।
घटना का समय और तारीख
यह घटना आज सुबह 13 जनवरी 2025 को करीब 10:00 बजे हुई।
पीड़ित परिवार की मुखिया कविता और उनकी चार बेटियां लगातार दबंगों के अत्याचार का शिकार हो रही हैं। इन दबंगों के नाम उपेंद्र, प्रद्युमन और उनकी मां बताए जा रहे हैं। पीड़ितों का आरोप है कि 112 नंबर पर शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
महिलाओं पर हमला और FIR दर्ज न होना
गांव में महिलाओं और लड़कियों को खुलेआम पीटा जा रहा है, लेकिन पुलिस की लापरवाही का आलम यह है कि न तो एफआईआर दर्ज की जा रही है और न ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। पीड़ित परिवार ने कई बार पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी।
मीडिया का सहारा
जब थाने में कोई सुनवाई नहीं हुई, तो पीड़ित परिवार ने मीडिया का सहारा लिया। उनका कहना है कि वे अब न्याय के लिए आवाज उठाने को मजबूर हो गए हैं।
प्रशासन से सवाल
यह सवाल उठता है कि आखिरकार, जब पुलिस के पास सबूत और शिकायतें हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के प्रति प्रशासन की यह उदासीनता बेहद शर्मनाक है।