महेश्वर तहसील की अतिरिक्त तहसील टप्पा करही का मामला है जब की शासकीय गोचर भूमि ग्राम पंचायत पीटामली के सरपंच द्वारा ही कब्जा कर रखा है जब की 8- 9 माह से तहसील न्यायालय में गोचर की भूमि का ।मामला पेंडिंग पड़ा हैं जबकि यह काम सरकार का है मगर फिर भी ग्राम वासी कर रहे है जब की उन लोगों ने पटवारी पंचनामा गोचर की भूमि का बी 1. बी 2. नकल नक्शा एवं समस्त ग्रामीणों के हस्ताक्षर यह सब प्रस्तुत करने के बाद भी ग्रामीणों को भी तारीख पर तारीख दी जा रही है ग्रामीण अपना काम करें या शासकीय भूमि गोचर के पीछे दौड़ते रहे जब की हमारे मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा भी गोचर की भूमि को सख्त कार्रवाई करने का अधिकारियों को आदेश दिया गया है फिर भी अभी तक किसी भी अधिकारियों द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है |
तारीख पे तारीख, खेत छोड़ तहसील में बैठे किसान, नहीं सुन रहे अफसर एवं बाबू
राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ महेश्वर तहसील सचिव गौरी शंकर पाटीदार एवं जितेंद्र पाटीदार इन किसानों की पानी निकासी की समस्या है जो की खेतों में पानी भर जाता है बारिश का मौसम भी सामने आ गया है इन लोगों को भी तारीख पर तारीख दी जाती है जैसे कुछ किसान भामपुरा से भी आए थे जिनकी जमीन बटवारा एवं नामांतरण की समस्या जैसे कि नक्शा आवेदन सब उपलब्ध करा दिया है मगर फिर भी किसानोंको तारीख पे तारीख दी जा रही है ऐसे कही किसान है जो अपने खेतों का काम छोड़कर 11:00 से 4:00 बजे तक बैठे रहते हैं फिर मिलती है तारीख पे तारीख तारीख के साथ-साथ उन लोगों का जेब भी खाली होता है क्योंकि जितनी तारीख मिलती है वकील साहब उतने ही पैसे ले लेते है जबकि कहीं बार किसानों ने बाबू से पूछा साहब कहां है तो बाबू लोग भी बोलते हैं कभी खाना खाने गए कभी विजि़ट पर गए हैं आज नहीं है अगली तारीख पर आना , बाबुओं का भी बर्ताव किसानों के प्रति ठीक नहीं है बाबू भी सही जवाब नहीं देते जब की किसान पूछता है बाबूजी से तो बाबूजी का सीधा जवाब रहता है अपने वकील से बात करो जबकि वकील और बाबू साथ में बैठते हैं ऐसे में किसान अपने घर का काम छोड़कर दिन भर बैठा रहता है शाम को उदास चेहरा ले के घर जाता है जब की हमारी सरकारें किसान के लिए हजारों योजना बना रही है और किसानों की कोई नहीं सुनने को तैयार नहीं है बिचारे किसान इन वकीलों और बाबु के चक्कर में ही घूम रहे हैं क्योंकि इस चक्कर में न तो किसान का खेती का काम होता न ही सरकारी काम होता इस चक्कर में किसान कर्ज में डूब रहा है
ई खबर मीडिया से तुकाराम साद गुर्जर की रिपोर्ट