गाजियाबाद। विजयनगर सेक्टर-11 के डी-339 मकान को लेकर दो पक्षों के बीच गंभीर विवाद गहराता जा रहा है। मामले में फर्जी मुख्त्यारीआम से रजिस्ट्री कर मकान पर दावा ठोकने का आरोप लगा है, जबकि एक पक्ष का कहना है कि यह मकान उन्होंने 2013 में मीता पेशवानी से रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के माध्यम से खरीदा था।
नीरज शर्मा नामक व्यक्ति ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में आरोप लगाया कि उन्होंने मीता पेशवानी, जो मूल आवंटी अशोक पेशवानी की पत्नी हैं, से रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराकर मकान खरीदा था और बयाने के तौर पर 50 हजार रुपए दिए थे। बाकी साढ़े चार लाख रुपए रजिस्ट्री पर देने तय हुए थे। लेकिन उसी मकान को लेकर श्रीकांत शर्मा नामक व्यक्ति दावा कर रहे हैं कि उक्त भवन उन्हें सरस्वती मल्होत्रा ने वर्ष 2011 में बेचा था।
गहराता जा रहा विवाद: कौन है असली मालिक?
नीरज शर्मा का कहना है कि जीडीए द्वारा की गई जांच में स्पष्ट हुआ कि अशोक पेशवानी द्वारा राजरानी नामक महिला को दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी असत्य थी। यदि पावर ऑफ अटॉर्नी फर्जी है, तो उस आधार पर की गई रजिस्ट्री भी अमान्य है। बावजूद इसके, जीडीए में नामांतरण की प्रक्रिया असामाजिक तत्वों की आपत्तियों के चलते रुकी हुई है।
नीरज ने आरोप लगाया कि श्रीकांत शर्मा ने साजिश के तहत मकान खाली कराने की कोशिश की और उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए। जबकि मकान में बिजली का मीटर उनके नाम है और वर्तमान में मकान किराए पर चल रहा है।
क्या है मकान माफिया का खेल?
सूत्रों के मुताबिक, गाजियाबाद में सक्रिय मकान माफिया गिरोह बंद पड़े या किराए पर चल रहे जीडीए फ्लैटों को टारगेट करता है। वे फर्जी कागज़ात बनवाकर मकानों की रजिस्ट्री कर देते हैं और उन्हें मनचाहे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं। मकान मालिकों की गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर ये गिरोह कब्जा कर लेते हैं और कानूनी दांवपेंचों में फंसाकर उन्हें मजबूर कर देते हैं।
श्रीकांत शर्मा का पक्ष
श्रीकांत शर्मा ने कहा कि उन्होंने उक्त भवन 2011 में सरस्वती मल्होत्रा से 14.5 लाख में खरीदा था और मकान की चाबी नीरज शर्मा को ग्राहक लाने के लिए दी थी। आरोप है कि नीरज ने मकान पर कब्जा कर उसे किराए पर दे दिया और मीता पेशवानी से फर्जी एग्रीमेंट करा लिया। श्रीकांत ने पूछा कि जब मकान 2007 में बेच दिया गया था, तो मीता पेशवानी किस अधिकार से 2013 में उसे बेच सकती हैं।
मकान माफिया से जुड़ा बड़ा खुलासा
शिकायत में यह भी कहा गया है कि इस गोरखधंधे में स्थानीय पुलिस, पत्रकार और भू-माफिया की साठगांठ है। नीरज शर्मा की पत्नी दुर्गेश शर्मा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में आरोप लगाया कि उनके पति के एक्सीडेंट के पीछे भी इसी गिरोह का हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि उनके पति को मकान माफिया के खिलाफ आवाज उठाने की सज़ा दी जा रही है।
निष्पक्ष जांच की मांग
पीड़ित पक्ष ने प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाए और मकान माफिया गिरोह पर सख्त कार्रवाई हो ताकि आम नागरिकों की संपत्ति सुरक्षित रह सके।
क्या है पूरा मामला
पति के नाम पर वसूली की कोशिश, महिला अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री से लगाई न्याय की गुहार
गाजियाबाद। सेक्टर-12 प्रताप विहार निवासी अधिवक्ता श्रीमती दुर्गेश शर्मा ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को एक शिकायती पत्र भेजकर गंभीर आरोप लगाए हैं। अधिवक्ता का कहना है कि उनके पति नीरज शर्मा का जनवरी माह में एक सड़क हादसे में एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद से वह जी.टी.बी. एम.एम.जी. अस्पताल में इलाजरत हैं।
इस बीच कुछ लोग – सुधीर त्यागी, प्राची उजाला, और एक अखबार के संचालक मुकेश गुप्ता – उन पर एसएचओ विजय नगर के नाम पर पैसे वसूलने का दबाव बना रहे हैं। महिला अधिवक्ता का आरोप है कि इन लोगों ने अखबार में झूठे केसों की खबरें छापकर उनके पति को भू-माफिया घोषित कर दिया है, जबकि वास्तविकता में केवल दो संपत्तियां हैं – एक उनके पति नीरज शर्मा की और दूसरी उनकी सास दयावती के नाम।
दुर्गेश शर्मा का कहना है कि उन्हें शक है कि उनके पति का एक्सीडेंट सुनियोजित साजिश थी। आरोप लगाया गया कि सुधीर त्यागी नामक व्यक्ति ने फोन पर बताया कि एसएचओ के नाम पर पहले एक लाख रुपये की मांग की गई और फिर 20,000 रुपये में मामला ‘रफा-दफा’ करने की बात कही गई। जब पीड़िता ने खुद एसएचओ विजय नगर से बात की तो उन्होंने किसी भी प्रकार की वसूली से इनकार किया।
महिला अधिवक्ता ने बताया कि उनके पास पूरी बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है, जिसमें पत्रकार और सुधीर त्यागी एसएचओ के नाम पर धमका रहे हैं। उन्होंने शासन और प्रशासन से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
एडवोकेट श्रीमती दुर्गेश शर्मा
पत्नी श्री नीरज शर्मा
पता: एच-233बी, सेक्टर-12, प्रताप विहार, गाजियाबाद
मोबाइल: 8745088872