पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार कर इस मामले का खुलासा किया है। पुलिस ने राजस्थान के कुचामन शहर से गजेंद्र कुमार नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) अधिकारी बनकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिए एक व्यक्ति से 44.50 लाख रुपये ठगने के आरोप में चार साइबर जालसाजों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। ‘डिजिटल अरेस्ट’ एक साइबर अपराध होता है, जिसमें जालसाज स्वयं को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों पर कानून तोड़ने का झूठा आरोप लगाते हैं। उन्हें पैसे देने या व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने के लिए मजबूर करते हैं।
CBI अधिकारी बनकर किया फोन
यह घोटाला तब सामने आया जब मयूर विहार फेज-1 के रहने वाले वीरेंद्र कुमार इंदौरा ने 29 जनवरी को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस उपायुक्त (पूर्व) अभिषेक धानिया ने एक बयान में कहा, ‘इंदौरा ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें एक व्यक्ति ने स्वयं को सीबीआई अधिकारी बताकर फोन किया और उन पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया। जालसाजों ने कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देते हुए उन्हें गिरफ्तारी से बचने के लिए 44.50 लाख रुपये हस्तांतरित करने के लिए मजबूर किया।’
बैंक से चेक के जरिए निकाली गई रकम
पुलिस उपायुक्त (DCP) ने बताया कि जांच के दौरान बैंक खातों की फोरेंसिक लेखा परीक्षा से पता चला कि जयपुर के रहने वाले दिनेश सिंघाड़िया के नाम पर एक निजी बैंक में 38 लाख रुपये हस्तांतरित किए गए थे। डीसीपी ने बताया कि बाद में बैंक से चेक के जरिए रकम निकाली गई। पुलिस के एक दल ने जानकारी के आधार पर कार्रवाई करते हुए 5 मार्च को जयपुर में छापेमारी कर दिनेश सिंघाड़िया को गिरफ्तार कर लिया।
घोटाले में 5 अन्य का भी हुआ खुलासा
पूछताछ के दौरान सिंघाड़िया ने घोटाले में 5 अन्य लोगों की संलिप्तता का खुलासा किया। उसके खुलासे के आधार पर धोखाधड़ी करने के लिए इस्तेमाल किया गया बैंक खाता खोलने में मदद करने के आरोप में प्रशांत वर्मा नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया।
साइबर अपराधियों से सीधा संपर्क
डीसीपी ने कहा कि बाद में जांच के दौरान महेश नेहरा नाम के व्यक्ति से जुड़े एक अन्य व्यक्ति प्रकाश चौधरी को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि नेहरा धोखाधड़ी का मुख्य साजिशकर्ता था और जिसका अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों से कथित तौर पर सीधा संपर्क था। चौधरी ने धोखाधड़ी वाले खाते मुहैया कराने वालों से सोशल मीडिया के जरिए संवाद करके घोटाले के धन को सफेद करने में नेहरा की सहायता की।