आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी महिला की, जो वर्षों से अपनी ही जमीन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है।
नाम है श्रीमती आशा देवी।
स्थान है — ग्राम हुन्छा, तहसील सदर, जिला जौनपुर। जाति से अनुसूचित, हक से काश्तकार। लेकिन हालत यह है कि खुद की ज़मीन पर भी कब्जा नहीं कर पा रही हैं।
साल 2015 में उपजिलाधिकारी ने उनकी जमीन — आराजी नंबर 1324, 1326 और 1327 — पर पत्थरगड्डी का आदेश पारित किया।
साल 2024 में पुलिस बल की मौजूदगी में राजस्व निरीक्षक श्री दुर्गेश सिंह ने पत्थरगड्डी भी करा दी।
लेकिन उसके बाद क्या हुआ?
उसी गांव का एक व्यक्ति — मगरू पुत्र गनई — आया, पत्थर उखाड़ दिए और जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया।
आशा देवी कहती हैं — “मैं पुलिस बल का एक दिन का खर्च भी देने को तैयार हूं, बस मेरी ज़मीन मुझे लौटा दीजिए।”
क्या यही है हमारी व्यवस्था का हाल?
जहाँ एक महिला, वह भी दलित समाज से, बार-बार न्याय की गुहार लगाती रहे और कब्जाधारी खुलेआम धमकियाँ देते रहें?
प्रमोद, जो पीड़िता के पक्षकार हैं, कहते हैं कि राजस्व विभाग ने गलत पैमाइश की है।
उन्होंने साफ कहा — हमें जान से मारने की धमकियाँ दी जा रही हैं, कब्जा हटाया नहीं जा रहा। हमारी जमीन हमें वापस दिलवाई जाए।
तो सवाल ये है:
जब पत्थरगड्डी का आदेश हो गया, जब पुलिस की मौजूदगी में सीमांकन हो गया — फिर भी कब्जा कैसे?
आख़िर कब तक न्याय के लिए ऐसे ही गुहार लगानी पड़ेगी?
हमारा आग्रह है प्रशासन से —
तुरंत कार्रवाई हो, दोषियों पर FIR हो, और आशा देवी को उनका वैध हक़ दिया जाए।
क्योंकि अगर पत्थरगड्डी के बाद भी कब्जा नहीं हटेगा, तो फिर कानून और न्याय का क्या मतलब रह जाएगा?
क्या है पूरा मामला
पत्थरगड्डी आदेश के बावजूद भूमाफिया का कब्जा जारी, पीड़िता ने न्याय की लगाई गुहार
जौनपुर (03 अप्रैल 2025): तहसील सदर के ग्राम हुन्छा की निवासी श्रीमती आशा देवी पत्नी राणा प्रताप ने उपजिलाधिकारी सदर को प्रार्थना पत्र देकर वर्षों से चली आ रही भूमि विवाद में न्याय की गुहार लगाई है। आशा देवी अनुसूचित जाति की महिला हैं और आराजी नंबर 1324, 1326 और 1327 की वैध काश्तकार हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 30 जून 2015 को उपजिलाधिकारी सदर द्वारा उक्त भूमि पर पत्थरगड्डी का आदेश पारित किया गया था, जिसे राजस्व निरीक्षक श्री दुर्गेश सिंह ने 12 जुलाई 2024 को पुलिस बल की सहायता से पूर्ण भी करवा दिया। इसके बावजूद गांव के ही एक व्यक्ति मगरू पुत्र गनई द्वारा उक्त भूमि पर जबरन कब्जा कर लिया गया है।
आशा देवी का आरोप है कि विपक्षी ने पत्थरगड्डी के चिन्हों को उखाड़ दिया है और कब्जा छोड़ने से इनकार कर रहा है। साथ ही फौजदारी करने की भी धमकी दे रहा है। पीड़िता का कहना है कि वह एक दिन का पुलिस बल का खर्च खुद वहन करने को तैयार हैं, ताकि उसे अपनी भूमि पर कब्जा मिल सके।
प्रार्थिनी ने उपजिलाधिकारी महोदय से मांग की है कि तहसीलदार सदर व थानाध्यक्ष सरायख्वाजा को निर्देशित किया जाए कि वे पुलिस बल की सहायता से उनकी भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराएं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रमोद ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि हमारी जमीन पर जो जबरन कब्जा हो रखा है उसे हटवाने में राजसव विभाग हमारी कोई सहायता नहीं कर रहा और जमीन की पत्थर गड्डी गलत पैमाइश करके की गई है उसे सही किया जाए उन्होंने कहा के आरोपी पक्ष के लोग हमें जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं और हमारी जमीन से कब्जा नहीं हटा रहे हैं तो मेरा शासन प्रशासन से निवेदन है कि हमारे जमीन से जबरन कब्जा हटाया जाए और हमारी जमीन हमें दिलवाई जाए।