मेरे साथ जो हुआ, वो किसी दुश्मन के साथ भी ना हो” — ये शब्द हैं आशा देवी के, जो भोजपुर जिले के दुल्लमचक गांव की रहने वाली हैं। आरोप है कि गांव का ही विष्णु कुमार पहले प्यार का नाटक करता रहा, फिर लोन के नाम पर तीन लाख रुपये, गहने और जरूरी कागजात हड़प लिए। इसके बाद 9 अप्रैल 2025 को उसे जबरन लुधियाना ले जाकर बंधक बना लिया और महीनों तक दुष्कर्म करता रहा।
आशा देवी का दावा है कि जब वो किसी तरह वहां से भागकर आई और पुलिस से मदद मांगी, तो चौरी थाना में FIR तो दर्ज हुई (कांड संख्या 61/2025), लेकिन अब तक आरोपी खुलेआम घूम रहा है। यहां तक कि जब आशा देवी अपने पैसे और कागजात वापस लेने आरोपी के घर गई, तो पूरा परिवार मिलकर उसकी पिटाई कर दी और जान से मारने की धमकी दी।
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि एक बार जब दोनों आरा रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए थे, तो चौरी पुलिस ने विष्णु को मौके पर ही छोड़ दिया, जबकि पीड़िता को अकेले थाने ले जाया गया। क्या ये पुलिस की मिलीभगत नहीं है? क्या इस सिस्टम में एक महिला की कोई इज्जत नहीं?
आशा देवी ने साफ कहा है
“जिसने मेरी जिंदगी बर्बाद की, उसे सबसे सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
“मेरे नुकसान की भरपाई सरकार करे।”
“पुलिस के संरक्षण में अगर आरोपी बचे रहें, तो आम जनता का क्या होगा?”
अब सवाल आपसे और सिस्टम से दोनों से है –
क्या एक महिला को न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा?
क्या भोजपुर पुलिस किसी दबाव में है?
कब तक ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज किया जाएगा?
क्या है पूरा मामला
लुधियाना में बंधक बनाकर महिला से दुष्कर्म! प्रेमजाल में फंसाकर तीन लाख की ठगी, भोजपुर पुलिस पर उठे सवाल
भोजपुर (आरा)। जिले के चौरी थाना क्षेत्र के दुल्लमचक गांव से एक महिला के शोषण और पुलिस की लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। पीड़िता आशा देवी ने पुलिस अधीक्षक भोजपुर को दिए आवेदन में आरोप लगाया है कि गांव के ही विष्णु कुमार ने पहले प्रेमजाल में फंसाया, फिर लोन के नाम पर तीन लाख रुपये, पचास हजार के गहने, एटीएम, आधार कार्ड और बैंक पासबुक लेकर उसे लुधियाना ले जाकर बंधक बना लिया।
आशा देवी ने बताया कि 9 अप्रैल 2025 की शाम करीब 5 बजे विष्णु कुमार उसे जबरन लुधियाना ले गया, जहां कई महीनों तक उसका शारीरिक शोषण करता रहा। इस दौरान आरोपी ने उसे पीटा, धमकाया और ब्लैकमेल करता रहा।
जब पीड़िता किसी तरह वहां से भागकर लौटी, तो उसके पति ने चौरी थाना में लिखित शिकायत दी, जिस पर कांड संख्या 61/2025 दर्ज की गई। लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद आरोपी विष्णु कुमार अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
पीड़िता का यह भी आरोप है कि जब वह अपने पैसे और कागजात वापस लेने विष्णु कुमार के घर गई, तो वहां उसकी विष्णु कुमार, उसके पिता, मां और भाई रंजन कुमार ने मिलकर पिटाई की और जान से मारने की धमकी दी।
अब सवाल ये है कि चौरी थाना पुलिस आखिर किस दबाव में काम कर रही है? जब एक महिला खुले तौर पर गंभीर आरोप लगा रही है, प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है, फिर भी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
आशा देवी ने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर उसे न्याय दिलाया जाए।
आशा देवी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जो विष्णु कुमार ट्रेन से मुझे लुधियाना लेकर आया आरा रेलवे स्टेशन पर हमें पकड़ लिया और उसके बाद हम दोनों को चौरी थाना ले जाया गया और वहां से बाबर गांव के पास विष्णु को पुलिस ने छोड़ दिया और आशा देवी को अकेले थाने ले जाया गया और इस गाड़ी में पुलिस के साथ विष्णु कुमार के पिता भी बैठे हुए थे. आशा देवी ने मीडिया के माध्यम से सरकार से गुहार लगाई है कि कि मुझे न्याय चाहिए जिसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है उसे सबसे शक्ति सजा मिलनी चाहिए और वह लाखों के पीछे होना चाहिए. और जो मेरा नुकसान हुआ है उसकी भरपाई मुझे जल्द से जल्द करवाई जाए।
यह मामला भोजपुर पुलिस की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े करता है। क्या एक महिला को न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा या फिर सिस्टम अब भी समय रहते जागेगा?
“मेरे साथ जो हुआ, वो किसी दुश्मन के साथ भी ना हो” — ये शब्द हैं आशा देवी के, जो भोजपुर जिले के दुल्लमचक गांव की रहने वाली हैं। आरोप है कि गांव का ही विष्णु कुमार पहले प्यार का नाटक करता रहा, फिर लोन के नाम पर तीन लाख रुपये, गहने और जरूरी कागजात हड़प लिए। इसके बाद 9 अप्रैल 2025 को उसे जबरन लुधियाना ले जाकर बंधक बना लिया और महीनों तक दुष्कर्म करता रहा।
आशा देवी का दावा है कि जब वो किसी तरह वहां से भागकर आई और पुलिस से मदद मांगी, तो चौरी थाना में FIR तो दर्ज हुई (कांड संख्या 61/2025), लेकिन अब तक आरोपी खुलेआम घूम रहा है। यहां तक कि जब आशा देवी अपने पैसे और कागजात वापस लेने आरोपी के घर गई, तो पूरा परिवार मिलकर उसकी पिटाई कर दी और जान से मारने की धमकी दी।
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि एक बार जब दोनों आरा रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए थे, तो चौरी पुलिस ने विष्णु को मौके पर ही छोड़ दिया, जबकि पीड़िता को अकेले थाने ले जाया गया। क्या ये पुलिस की मिलीभगत नहीं है? क्या इस सिस्टम में एक महिला की कोई इज्जत नहीं?
आशा देवी ने साफ कहा है
“जिसने मेरी जिंदगी बर्बाद की, उसे सबसे सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
“मेरे नुकसान की भरपाई सरकार करे।”
“पुलिस के संरक्षण में अगर आरोपी बचे रहें, तो आम जनता का क्या होगा?”
अब सवाल आपसे और सिस्टम से दोनों से है –
क्या एक महिला को न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा?
क्या भोजपुर पुलिस किसी दबाव में है?
कब तक ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज किया जाएगा?
क्या है पूरा मामला
लुधियाना में बंधक बनाकर महिला से दुष्कर्म! प्रेमजाल में फंसाकर तीन लाख की ठगी, भोजपुर पुलिस पर उठे सवाल
भोजपुर (आरा)। जिले के चौरी थाना क्षेत्र के दुल्लमचक गांव से एक महिला के शोषण और पुलिस की लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। पीड़िता आशा देवी ने पुलिस अधीक्षक भोजपुर को दिए आवेदन में आरोप लगाया है कि गांव के ही विष्णु कुमार ने पहले प्रेमजाल में फंसाया, फिर लोन के नाम पर तीन लाख रुपये, पचास हजार के गहने, एटीएम, आधार कार्ड और बैंक पासबुक लेकर उसे लुधियाना ले जाकर बंधक बना लिया।
आशा देवी ने बताया कि 9 अप्रैल 2025 की शाम करीब 5 बजे विष्णु कुमार उसे जबरन लुधियाना ले गया, जहां कई महीनों तक उसका शारीरिक शोषण करता रहा। इस दौरान आरोपी ने उसे पीटा, धमकाया और ब्लैकमेल करता रहा।
जब पीड़िता किसी तरह वहां से भागकर लौटी, तो उसके पति ने चौरी थाना में लिखित शिकायत दी, जिस पर कांड संख्या 61/2025 दर्ज की गई। लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद आरोपी विष्णु कुमार अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
पीड़िता का यह भी आरोप है कि जब वह अपने पैसे और कागजात वापस लेने विष्णु कुमार के घर गई, तो वहां उसकी विष्णु कुमार, उसके पिता, मां और भाई रंजन कुमार ने मिलकर पिटाई की और जान से मारने की धमकी दी।
अब सवाल ये है कि चौरी थाना पुलिस आखिर किस दबाव में काम कर रही है? जब एक महिला खुले तौर पर गंभीर आरोप लगा रही है, प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है, फिर भी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
आशा देवी ने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर उसे न्याय दिलाया जाए।
आशा देवी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जो विष्णु कुमार ट्रेन से मुझे लुधियाना लेकर आया आरा रेलवे स्टेशन पर हमें पकड़ लिया और उसके बाद हम दोनों को चौरी थाना ले जाया गया और वहां से बाबर गांव के पास विष्णु को पुलिस ने छोड़ दिया और आशा देवी को अकेले थाने ले जाया गया और इस गाड़ी में पुलिस के साथ विष्णु कुमार के पिता भी बैठे हुए थे. आशा देवी ने मीडिया के माध्यम से सरकार से गुहार लगाई है कि कि मुझे न्याय चाहिए जिसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है उसे सबसे शक्ति सजा मिलनी चाहिए और वह लाखों के पीछे होना चाहिए. और जो मेरा नुकसान हुआ है उसकी भरपाई मुझे जल्द से जल्द करवाई जाए।
यह मामला भोजपुर पुलिस की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े करता है। क्या एक महिला को न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा या फिर सिस्टम अब भी समय रहते जागेगा?