इस मौके पर उन्होंने 1 करोड़ 26 लाख 89 हजार से ज्यादा बहनों के खातों में लाड़ली बहन योजना की किश्त 1250 के साथ-साथ 250 रुपये का विशेष शगुन भी ट्रांसफर किया। उन्होंने पहले 1541.76 करोड़ और बाद में 317 करोड़ रुपये की राशि बहनों के खातों में ट्रांसफर की। इसके अलावा उन्होंने 28 लाख से अधिक बहनों को गैस सिलेंडर रीफिलिंग के लभोपाल/राजगढ़। ‘हम लाड़ली बहनों की राशि धीरे-धीरे बढ़ाएंगे। हमारी सरकार 41 हजार करोड़ की राशि बहनों को दे चुकी है। बहनों के हाथ में रुपये देने से उसका सदुपयोग होता है। बहनें एक-एक रुपया बचाकर घर को संभालती हैं। बहनें अपना पेट काटकर घर का ख्याल रखती हैं। मैं बहनों का प्रेम जीवनभर नहीं भूलूंगा। बहनों को दीपावली के बाद भाईदूज से 1500 रुपये मिलने लगेंगे। हमारा संकल्प है कि हम बहनों को तीन हजार रुपये देंगे। बहनें अगर रोजगारपरक कारखाने में जाएगी तो उन्हें सरकार 5 हजार रुपये देगी। इसके अलावा कारखाने का मालिक अलग रुपये देगा। हमारी सरकार हॉस्टल बनाकर महिलाओं को रात में काम करने की छूट दे रही हैं। हम भाइयों को भी रोजगारपरक कारखाने में काम करने के लिए रुपये देंगे। बहनें भगवान की तरह होती हैं।’यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में कही। डॉ. सीएम यादव 7 अगस्त को यहां आयोजित रक्षाबंधन उत्सव को संबोधित कर रहे थे।
लाड़ली बहन योजना की किश्त खाते में बहनों के खाते में ट्रांसफर
इस मौके पर उन्होंने 1 करोड़ 26 लाख 89 हजार से ज्यादा बहनों के खातों में लाड़ली बहन योजना की किश्त 1250 के साथ-साथ 250 रुपये का विशेष शगुन भी ट्रांसफर किया। उन्होंने पहले 1541.76 करोड़ और बाद में 317 करोड़ रुपये की राशि बहनों के खातों में ट्रांसफर की। इसके अलावा उन्होंने 28 लाख से अधिक बहनों को गैस सिलेंडर रीफिलिंग के लिए 43.90 करोड़ भी दिए। कार्यक्रम में सीएम डॉ.यादव ने कई घोषणाएं भी कीं। कार्यक्रम से पहले सीएम डॉ.मोहन यादव ने रोड-शो किया। उसके बाद बहनों ने बड़ी संख्या में उन्हें राखियां बांधी। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर में आतंकियों से बड़ा बदला लिया। इस बार का रक्षाबंधन ऑपरेशन सिंदूर पर ही आधारित है। त्योहारों का राजा है रक्षाबंधन
गौरतलब है कि इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रक्षाबंधन को लेकर कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा कि भाई-बहन के त्योहार रक्षाबंधन की किसी से तुलना नहीं हो सकती। रक्षाबंधन सभी त्योहारों का राजा है। जब हम छोटे थे तो पिता जी को राखी बांधने बुआ आया करती थी। उस वक्त लगता था जैसे घर में दीपावली आ गई हो। बुआ के आते ही घर में हलचल मच जाती थी। उनके बैग में सभी भांजे-भांजियों के लिए राखी और गिफ्ट हुआ करते थे। फिर, जब हम और बड़े हुए तो बहन को लेने ससुराल जाने लगे। पूरे साल में एक बार मिलने पर बहन अंदर से तो बहुत खुश होती थी, लेकिन सामने से कठोर होकर कहती थी कि तुम्हें बड़ी जल्दी बहन की याद आ गई, राखी आई तो याद आ गई। जाओ मैं नहीं जाती तुम्हारे साथ। ये सुनने के बाद भाई मनाने में लग जाता था, गलती स्वीकार करने लगता था। काफी मनाने के बाद आखिर बहन भाई के साथ घर आ जाती थी।
सारी गलतियां माफ कर देती हैं बहनें
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि बहन तो है ही भगवान की तरह, जो सारी गलतियां माफ कर देती है। बेटी के घर में आने से पिता की आंखें चमक उठती हैं। बेटी जब घर में कदम रखती है तो उस वक्त इतना आनंद आता है, जो भगवान के आने पर भी नहीं होता। बेटी से ज्यादा पिता को कोई सुख नहीं दे सकता। वह अपने मायके की भी चिंता करती है और ससुराल की भी। हमें इस पर गर्व है। जिस घर में बेटी नहीं होती, वह अधूरा रहता है। जिसमें भाई-बहन सब हों, उस घर को स्वर्ग माना जाता है। संसार में हर रिश्ते का महत्व है। उन्होंने कहा कि भाई के लिए भांजी का विवाह करना सौभाग्यशाली होता है। भारतीय संस्कृति में ही भांजे-भांजियों को बेटे-बेटियों से ज्यादा महत्व दिया जाता है। रेशम के धागे में सभी ताकतों से ज्यादा ताकत होती है।