नायब तहसीलदार ने दी बड़ी टिप्पणी — राजस्व निरीक्षक की रिपोर्ट में कब्जे की पुष्टि, अनावेदक बोले “हमारा पुराना मकान है”
दिनारा (शिवपुरी)।
ग्राम ढकुरई में भूमि विवाद का मामला इस समय पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामला नायब तहसीलदार न्यायालय दिनारा, तहसील करैरा जिला शिवपुरी (म.प्र.) में प्रकरण क्रमांक 0007/2021-22/8-70 के रूप में दर्ज है।
इस प्रकरण में आवेदक श्रीपत पुत्र हरू जाटव निवासी ग्राम बकुरई ने शिकायत की थी कि ग्राम ढकुरई के सर्वे नंबर 437/5 (रकबा 0.80 हेक्टेयर) की जमीन पर अनावेदकगण विशना पुत्र कुन्ना, बन्टी, नारायण और टिंकू पुत्रगण विशना जाटव ने जबरन कब्जा कर लिया है और खेती भी कर रहे हैं।
क्या है मामला
आवेदक ने म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 250 के अंतर्गत आवेदन देकर कहा कि वह उक्त भूमि का वैध स्वामी है, परंतु अनावेदकगणों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है और गेहूं की फसल भी बो दी थी।
न्यायालय ने आवेदन पर नोटिस जारी कर दोनों पक्षों को तलब किया।
जवाब में अनावेदकगणों ने कहा कि वे उसी सर्वे क्षेत्र में वर्षों से निवासरत हैं और उनके मकान पहले से बने हुए हैं। उन्होंने आवेदक पर आरोप लगाया कि उसने “फर्जी पट्टा” बनवाया है और वह “ग्राम सुजावनी” का निवासी है, न कि ढकुरई का।
राजस्व निरीक्षक की जांच रिपोर्ट ने खोली पोल
मामले की सच्चाई जानने के लिए राजस्व निरीक्षक व पटवारी ग्राम ढकुरई से रिपोर्ट मंगाई गई।
रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि सर्वे नंबर 437/5 पर अनावेदकगणों ने गेहूं की फसल बोई थी, जिसे काट लिया गया है। वर्तमान में उन्होंने भूमि को घेरकर कब्जा कर रखा है और छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि आवेदक श्रीपत पुत्र हरू जाटव वर्तमान में ग्राम सुजावनी (पिछोर) में निवासरत हैं।
न्यायालय ने क्या कहा
सभी पक्षों की सुनवाई और रिपोर्ट देखने के बाद न्यायालय ने माना कि
“राजस्व निरीक्षक के प्रतिवेदन से यह सिद्ध होता है कि सर्वे नंबर 437/5 रकबा 0.80 हेक्टेयर पर अनावेदकगणों का अवैध कब्जा है। उन्होंने आवेदक की भूमि पर फसल बोकर काट ली है और कब्जा छोड़ा नहीं है।
नायब तहसीलदार ने साफ शब्दों में कहा कि “आवेदक की भूमि पर अनावेदकगणों का कब्जा सिद्ध होता है।”
इससे पूरे क्षेत्र में चर्चा है कि अब आगे न्यायालय कब्जा हटाने की कार्रवाई करेगा या नहीं।
गांव में बढ़ी हलचल
इस आदेश के बाद ग्राम ढकुरई और आसपास के गांवों में मामला चर्चा में है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह विवाद कई वर्षों से चला आ रहा था। अब प्रशासनिक रिपोर्ट आने के बाद मामला और तूल पकड़ सकता है।
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा —
“हम तो बरसों से देख रहे हैं, यह जमीन विवाद बहुत पुराना है। अब कोर्ट जो फैसला करेगा, वही अंतिम होगा।”
कानूनी पृष्ठभूमि
धारा 250 (म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959) — यदि किसी व्यक्ति की जमीन पर कोई अवैध रूप से कब्जा करता है, तो संबंधित व्यक्ति आवेदन देकर कब्जा हटवाने की मांग कर सकता है। तहसीलदार को जांच के बाद उचित आदेश पारित करने का अधिकार होता है।
निष्कर्ष
न्यायालय की सुनवाई के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन जमीन से संबंधित दस्तावेजों की जांच करवाकर अंतिम आदेश जारी करेगा।
इस फैसले से न केवल श्रीपत जाटव बल्कि ढकुरई क्षेत्र के कई अन्य ग्रामीणों के भूमि विवादों पर भी असर पड़ सकता है।
स्थान — करैरा, जिला शिवपुरी (मध्यप्रदेश)




