शाहकुण्ड (बिहार) – शाहकुण्ड अंचल कार्यालय ने सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण अधिनियम 1958 के तहत अवैध कब्जे हटाने के लिए नोटिस जारी किया है। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि 18 फरवरी 2025 को अतिक्रमण हटाने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, और अब किसी भी समय बुलडोजर चल सकता है।
प्रशासन ने जारी किया सख्त नोटिस, एक हफ्ते में खुद खाली करो मकान या फिर…
शाहकुण्ड अंचल कार्यालय ने जिन लोगों को नोटिस दिया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
असरेश सिंह, दिलीप सिंह, लक्ष्मी सिंह, राजीव सिंह, सनम सिंह (पिता-डोनी सिंह)
मनोज सिंह (पिता-साभायण सिंह)
अधीन सिंह (पिता-किसोरी सिंह)
तमत सिंह (पिता-किमोती सिंह)
अनिल सिंह, साजन सिंह, पप्पू सिंह, मुकेश सिंह, मंटू सिंह (विल-घोघर सिंह)
प्रमोद सिंह (पिता-अनिका सिंह)
रामदेव सिंह, सम्मु सिंह
अशोक सिंह (पिता-दिनेश सिंह)
अखिलेश सिंह (पिता-त्व०)
घनश्याम सिंह, कन्हाई सिंह (पिता-स्व० घनश्याम सिंह)
मंद्र सिंह (पिता-स्व० धनस्थान सिंह)
प्रशासन का रुख – ‘सरकारी जमीन खाली करनी ही होगी!’
अंचल अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि एक सप्ताह के भीतर अतिक्रमण हटाया नहीं गया, तो पुलिस बल की मौजूदगी में जबरन हटाया जाएगा। साथ ही, अतिक्रमण हटाने का पूरा खर्च इन परिवारों से वसूला जाएगा।
लेकिन सवाल यह है – इन परिवारों को आखिर कहां बसाया जाएगा?
बुलडोजर से पहले बेघर होने का डर, प्रभावित परिवारों ने सरकार से लगाई गुहार!
अतिक्रमण हटाने के इस आदेश से सैकड़ों गरीब परिवारों की नींद उड़ गई है। इन परिवारों का कहना है कि वे पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं, और अचानक उन्हें घर से बेदखल किया जा रहा है।
अनिल सिंह, जिनका नाम इस सूची में शामिल है, ने कहा,
“हमारे पास रहने के लिए और कोई जगह नहीं है। सरकार अगर घर तोड़ रही है, तो हमें रहने के लिए दूसरा मकान भी देना चाहिए। क्या हम बच्चों के साथ सड़क पर सोएंगे?”
इसी तरह, मनोज सिंह ने भी अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा,
“हम मेहनतकश लोग हैं, हमने अपने पसीने की कमाई से ये घर बनाए हैं। अगर सरकार हमें हटा रही है, तो हमें सरकारी योजनाओं के तहत घर भी दिया जाना चाहिए।”
गरीबों के लिए कोई योजना नहीं? सवालों के घेरे में प्रशासन!
प्रभावित परिवारों का सवाल है कि सरकार स्मार्ट सिटी, हाईवे और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए तो करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन गरीबों के पुनर्वास के लिए कोई योजना नहीं बना रही।
एक स्थानीय निवासी प्रमोद सिंह ने कहा,
“क्या सरकार सिर्फ अमीरों के लिए योजनाएं बनाती है? गरीबों का कोई हक नहीं? अगर हम अतिक्रमण कर रहे थे, तो पहले हमें कहीं और बसाया जाता, फिर घर तोड़े जाते।”
जनता बनाम प्रशासन – कौन जीतेगा यह लड़ाई?
जहां एक ओर प्रशासन कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर चुका है, वहीं दूसरी ओर प्रभावित परिवार आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं।
क्या प्रशासन मानेगा गरीबों की बात?
अंचल अधिकारी ने कहा है कि
“यह जमीन सरकारी है और इसे अतिक्रमण मुक्त कराना जरूरी है। लेकिन प्रभावित परिवारों की अपील को ध्यान में रखते हुए हम उनके पुनर्वास की संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं।”
अब देखना यह है कि सरकार इन परिवारों के लिए कोई राहत योजना लाती है या फिर उन्हें बेघर कर दिया जाएगा?
आगे क्या होगा?
क्या प्रशासन अपनी सख्ती से पीछे हटेगा?
क्या प्रभावित परिवारों को कहीं और बसाया जाएगा?
क्या विरोध प्रदर्शन होगा?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे।