परळी वैजनाथ (बीड): एक महिला, जो अपने माता-पिता की इकलौती वारिस है, पिछले कई वर्षों से अपने स्वर्गीय पिता की पेंशन और अन्य सरकारी लाभों के लिए संघर्ष कर रही है। लेकिन नगर परिषद द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से वह पूरी तरह निराश हो चुकी है। आखिरकार, उसने सरकार से न्याय की गुहार लगाई है और चेतावनी दी है कि यदि उसे जल्द ही उसका हक नहीं मिला तो वह मंत्रालय के सामने आमरण अनशन करेगी।
क्या है पूरा मामला?
परळी वैजनाथ की रहने वाली मिना सुर्यभान फड ने बताया कि उनके पिता सुर्यभान निवृत्ती फड परळी नगर परिषद में शिपाई (चपरासी) के पद पर कार्यरत थे। उनका 26 अप्रैल 2008 को निधन हो गया था। उनके निधन के बाद, उनकी पत्नी विजयमाला सुर्यभान फड और बेटी मिना ही उनके कानूनी वारिस थे।
नगर परिषद की नीति के अनुसार, मृतक कर्मचारी के आश्रित को नौकरी और पेंशन मिलनी चाहिए थी। लेकिन इस परिवार के साथ ऐसा नहीं हुआ। मिना ने बताया कि उनके सावत्र भाई धनंजय सुर्यभान फड को नौकरी देने के लिए उन्होंने अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन बदले में पेंशन और अन्य कर्मचारी लाभ उन्हें और उनकी मां को मिलने चाहिए थे।
मां के निधन के बाद बढ़ी मुश्किलें
मिना सुर्यभान फड की मां विजयमाला का 1 जनवरी 2025 को निधन हो गया। अब मिना ही अपने माता-पिता की इकलौती वारिस हैं। लेकिन नगर परिषद ने अब तक न तो उनके पिता की पेंशन दी, न ही ग्रेच्युटी और अन्य कर्मचारी लाभ।
मिना ने 17 जनवरी 2025 को नगर परिषद, परळी वैजनाथ में आवेदन दिया था और बार-बार कार्यालय के चक्कर काटे। लेकिन हर बार उन्हें केवल टालमटोल भरे जवाब मिले। अब उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उन्हें भूखमरी का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार से सीधी अपील, अनशन की चेतावनी
नगर परिषद की अनदेखी से परेशान होकर मिना ने महाराष्ट्र सरकार से सीधी अपील की है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 7 अप्रैल 2025 तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वह मुंबई के मंत्रालय के सामने आमरण अनशन पर बैठेंगी। उन्होंने साफ कहा कि अगर इस दौरान कोई भी अप्रिय घटना होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी नगर परिषद, परळी वैजनाथ प्रशासन और महाराष्ट्र सरकार की होगी।
सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर मृतक कर्मचारी के परिवार को पेंशन और अन्य लाभ मिलने का अधिकार है, तो उन्हें अब तक यह सुविधा क्यों नहीं दी गई?
क्या नगर परिषद प्रशासन जानबूझकर मामले को लटका रहा है?
क्या किसी अधिकारी की लापरवाही के कारण एक गरीब महिला को न्याय नहीं मिल रहा?
आखिर कब तक एक बेटी को अपने पिता की मेहनत की कमाई के लिए संघर्ष करना पड़ेगा?
अब देखना यह है कि सरकार और नगर परिषद प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं।