आज आपके सामने एक ऐसी घटना लेकर आया हूं, जो न सिर्फ एक व्यक्ति की अस्मिता और सुरक्षा पर चोट है, बल्कि पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं देश की राजधानी दिल्ली की—जहां एक आम नागरिक, उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के नगहरा घाट गांव निवासी दिनेश पुत्र मुर्रीलाल का बैग बस यात्रा के दौरान रहस्यमय तरीके से गायब हो गया।
सोचिए, एक आम आदमी—जो दिन-रात मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता है—वो जब भरोसे के साथ बस में सफर करता है और राजधानी पहुंचने पर उसे पता चलता है कि उसका सबसे जरूरी सामान, उसकी पहचान, उसका घर का ताला खोलने वाली चाबी, और यहां तक कि उसकी पत्नी की मांग का मंगलसूत्र तक गायब हो चुका है… तो उस पर क्या बीतती होगी?
दिनेश 26 मई 2025 को पनवाड़ी से दिल्ली के मोरी गेट आ रहे थे, श्री साई सफर ट्रेवल्स की बस से। जैसे ही बस दिल्ली पहुंची, उनका कीमती बैग गायब। और इस बैग में क्या था?
आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड, ई-श्रम कार्ड, लेबर कार्ड, कोविड कार्ड… यानी एक नागरिक के अस्तित्व का हर प्रमाण। नकदी ₹16,000, कपड़े, जूते, घर की चाबियाँ… और सबसे बड़ी बात – 22 कैरेट का 5 ग्राम का मंगलसूत्र।
क्या ये सिर्फ एक बैग था? नहीं… ये उस गरीब आदमी की पूरी जिंदगी थी।
दिनेश ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई, (SO No: 430/2014, LR No: 2885936/2025) और ईमेल के जरिए भी गुहार लगाई कि कोई उसका बैग लौटा दे। लेकिन सवाल यह है कि क्या एक आम आदमी की फरियाद दिल्ली जैसे शहर में कोई सुनता है? क्या हम इतने असंवेदनशील हो गए हैं कि अब किसी गरीब का सामान गायब हो जाना सिर्फ एक “गुमशुदगी की रिपोर्ट” बनकर रह जाता है?
क्या है पूरा मामला
दिल्ली बस में यात्री का बैग रहस्यमय ढंग से गायब, दस्तावेज़ों से लेकर सोने की चेन और नकदी तक सब हुआ गायब, पीड़ित परिवार की इंसाफ की गुहार
नई दिल्ली, मोरी गेट: देश की राजधानी में एक आम नागरिक के साथ घटी एक असाधारण घटना ने यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के नगहरा घाट गांव निवासी दिनेश पुत्र मुनीलाल का दिल्ली यात्रा के दौरान कीमती सामानों से भरा बैग रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गया।
दिनेश श्री साई सफर ट्रेवल्स की बस (बस नंबर: UP 78 KT 7032, टिकट संख्या: 19803) से 26 मई 2025 की सुबह लगभग 6:30 बजे नई दिल्ली के मोरी गेट पहुंचे। सफर की शुरुआत उत्तर प्रदेश के पनवाड़ी से हुई थी। जैसे ही बस मोरी गेट बस अड्डे पर रुकी और दिनेश अपना सामान निकालने लगे, उन्होंने पाया कि उनका बैग नदारद है।
जिस बैग में दिनेश के जीवन की पूरी पहचान और आर्थिक साधन सहेजे हुए थे, उसमें शामिल थे – उनका आधार कार्ड (संख्या: 669513020530), वोटर आईडी कार्ड (संख्या: YKY4447959), लेबर कार्ड, ई-श्रम कार्ड, पैन कार्ड, कोविड इंजेक्शन कार्ड, ₹16,000 की नकदी, 7 जोड़ी पैंट-शर्ट, जूते, पूरे घर की चाबियाँ और सबसे अहम 5 ग्राम का 22 कैरेट सोने का मंगलसूत्र।
इस घटना के बाद पीड़ित दिनेश ने दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच में रिपोर्ट दर्ज करवाई (SO No: 430/2014, LR No: 2885936/2025, दिनांक: 01/06/2025)। साथ ही उन्होंने अपनी शिकायत ईमेल (parjapodineshi995@gmil.com) के माध्यम से भी भेजी है और प्रशासन से गुहार लगाई है कि यदि किसी को यह बैग या संबंधित दस्तावेज़ मिले, तो उसे तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन में जमा कराएं।
सबसे पीड़ादायक बात यह है कि इस घटना ने न केवल दिनेश को मानसिक आघात पहुंचाया, बल्कि उनके पूरे परिवार को असुरक्षा और डर के माहौल में धकेल दिया है। घर की चाबियों से लेकर पहचान पत्रों तक के गायब हो जाने से परिवार की निजता और सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
पीड़ित परिवार ने मीडिया के माध्यम से अधिकारियों से इंसाफ की गुहार लगाई है और मांग की है कि इस प्रकरण की गहनता से जांच की जाए तथा दोषी व्यक्ति की पहचान कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
इस घटना ने साफ कर दिया है कि बस यात्रा के दौरान यात्रियों के सामान की सुरक्षा को लेकर अब भी गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। यह सिर्फ एक बैग का गायब होना नहीं है, बल्कि एक आम नागरिक की अस्मिता, सुरक्षा और आत्मविश्वास पर किया गया सीधा हमला है।
आज दिनेश का बैग गया है, कल किसी और का जाएगा। अगर हम आज खामोश रहे, तो ये घटनाएं सिलसिला बन जाएंगी।
इसलिए हम प्रशासन, पुलिस, ट्रेवल कंपनियों और व्यवस्था से मांग करते हैं कि
इस पूरे मामले की गहन जांच हो,
CCTV फुटेज खंगाले जाएं,
और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
हम मीडिया से भी अपील करते हैं कि ऐसे मामलों को प्रमुखता से उठाएं, ताकि उन लोगों को न्याय मिले, जिनकी आवाज अक्सर दीवारों से टकराकर रह जाती है।
क्योंकि ये सिर्फ एक बैग की कहानी नहीं है, ये कहानी है उस गरीब आदमी की उम्मीदों की, आत्मसम्मान की और उस सिस्टम की, जो उसे बार-बार तोड़ता है।
अब देखना यह है कि क्या दिल्ली पुलिस इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई करती है या यह घटना भी सिर्फ एक ‘गुमशुदगी की रिपोर्ट’ बनकर फाइलों में दब जाएगी