प्रयागराज जिले के थाना मांडा अंतर्गत मौजा नहवाई हप्पा, तहसील मेजा निवासी 65 वर्षीय गुलाबचंद तिवारी ने अपने पैतृक जमीन पर अवैध कब्जे का गंभीर आरोप लगाते हुए शासन-प्रशासन से न्याय की मांग की है।
गुलाबचंद तिवारी का कहना है कि उनके ही परिवार के सदस्य—संतोष तिवारी पुत्र भगवानदास तिवारी, शिव तिवारी पुत्र भगवानदास तिवारी, अमन तिवारी, राकेश तिवारी तथा शैलेन्द्र तिवारी (जो कि पेशे से वकील हैं)—ने साजिश के तहत उनकी पैतृक संपत्ति पर जबरन कब्जा कर लिया है।
जमीन विवरण:
अमन तिवारी राकेश तिवारी के लड़का हैं शैलेंद्र तिवारी जो कि पैसे से वकील है यह लोग गुलाबचंद तिवारी को डरा धमका रहे हैं और बोल रहे हैं कि तुम लोग कुछ नहीं कर पाओगे अपनी जमीन नहीं छुड़वा पाओगे
① गाटा संख्या 239/4 एवं 266/3 — पैतृक संपत्ति, जिस पर जबरन कब्जा किया गया है।
② गाटा संख्या 277/3 — बैनामा की गई भूमि, जिसमें अमन तिवारी पुत्र राकेश तिवारी ने कब्जा कर रखा है।
③ गाटा संख्या 267 (तालाब) — इस पर भू-माफिया शिव तिवारी एवं राकेश तिवारी (दोनों पुत्र भगवानदास तिवारी) ने अवैध रूप से निर्माण कराया है।
पीड़ित गुलाबचंद तिवारी का कहना है कि इस पूरे मामले में शैलेन्द्र तिवारी, जो वकील हैं, अपने पेशे का दुरुपयोग कर रहे हैं। वह बार-बार मामले को गुमराह कर स्थगित करवा देते हैं और खुलेआम धमकी देते हैं कि “हम वकील हैं, पुलिस हमारे भाई हैं, जो करना है कर लो, हम जमीन खाली नहीं करेंगे। ज्यादा बोलोगे तो जान से मार देंगे। हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
गुलाबचंद तिवारी न्याय के लिए प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़ित का कहना है कि वह मानसिक और आर्थिक रूप से बेहद परेशान हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रयागराज जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से गुहार लगाई है कि तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए और उनकी जमीन को कब्जा मुक्त कराया जाए।
प्रार्थी:
गुलाबचंद तिवारी
पुत्र: कल्टन तिवारी
निवासी: मौजा नहवाई हप्पा, थाना मांडा, तहसील मेजा, जिला प्रयागराज
क्या है मामला? सुनिए ध्यान से!
ये मामला है प्रयागराज जिले के थाना मांडा क्षेत्र का, जहां 65 वर्षीय बुजुर्ग गुलाबचंद तिवारी न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। गुलाबचंद तिवारी, जो मौजा नहवाई हप्पा, तहसील मेजा के निवासी हैं, अपनी ही पैतृक जमीन पर कब्जे से परेशान हैं।
उनका साफ कहना है कि उनके ही सगे रिश्तेदार—संतोष तिवारी, शिव तिवारी, अमन तिवारी, राकेश तिवारी और शैलेन्द्र तिवारी—ने मिलकर उनके हिस्से की जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है। इनमें शैलेन्द्र तिवारी पेशे से वकील हैं और उन्हीं पर सबसे गंभीर आरोप लगे हैं कि वह अपने वकालती पेशे का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
अब ज़रा गौर कीजिए जमीन के ब्यौरे पर:
① गाटा संख्या 239/4 और 266/3 — पैतृक ज़मीन है, जिस पर जबरन कब्जा किया गया।
② गाटा संख्या 277/3 — बैनामा की गई ज़मीन, जिसे अमन तिवारी ने हथिया रखा है।
③ गाटा संख्या 267 (तालाब) — यहां तो भू-माफियाओं ने हद कर दी। तालाब पर ही अवैध निर्माण करा लिया गया है, आरोप है शिव तिवारी और राकेश तिवारी पर।
अब सुनिए धमकियों की भाषा:
गुलाबचंद तिवारी का कहना है कि शैलेन्द्र तिवारी खुलेआम बोलते हैं—“मैं वकील हूँ, पुलिस हमारे भाई हैं। जो करना है कर लो। हम ज़मीन खाली नहीं करेंगे। ज़्यादा बोले तो जान से मार देंगे। हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
सोचिए! एक बुजुर्ग को इस कदर डराया जा रहा है, अपमानित किया जा रहा है, और प्रशासन अब तक मौन है।
गुलाबचंद तिवारी प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक न्याय की गुहार लगा चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर जिला प्रशासन तक हर दरवाज़ा खटखटा चुके हैं, मगर न्याय अब तक दूर है।
अब सवाल ये है—क्या बुजुर्ग की जमीन ऐसे ही दबाई जाएगी? क्या कानून के नाम पर सिर्फ धमकीबाज़ों का राज चलेगा?
गुलाबचंद तिवारी की यही अपील है कि उन्हें इंसाफ मिले, उनकी ज़मीन को कब्जे से मुक्त कराया जाए, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।