शाजापुर (प्रतिनिधि)।
एक ओर सरकार महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी ओर शाजापुर जिले की एक महिला पिछले 40 वर्षों से न्याय के लिए दर-दर भटक रही है। मामला जिले के निवासी अजब सिंह (उम्र 37 वर्ष) के परिवार से जुड़ा है, जहां उनकी माताजी सोरमबाई को पति भंवरलाल ने करीब चार दशक पूर्व ही छोड़ दिया था।
जानकारी के अनुसार, सोरमबाई और भंवरलाल का आपसी विवाद वर्षों से अदालत में चल रहा है। कोर्ट ने भंवरलाल को आदेश दिया था कि वह अपनी पत्नी सोरमबाई को हर महीने ₹1500 गुजारा भत्ता दे, लेकिन इतने वर्षों में उन्होंने एक पैसा तक नहीं दिया।
सोरमबाई के दो बच्चे – अजीत सिंह और कृष्णा – अपनी मां के साथ रहते हैं। भंवरलाल ने बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर ली, जो न केवल सामाजिक रूप से अनुचित है, बल्कि कानूनी रूप से भी वैध नहीं मानी जा सकती।
वर्तमान में स्थिति यह है कि खुद भंवरलाल ने अपने बेटे अजब सिंह पर खर्चा दिलाने के लिए अदालत का सहारा लिया है। कोर्ट ने बेटे को खर्चा देने का आदेश भी जारी कर दिया है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
परिवार न्याय की आस में
अजब सिंह का कहना है कि उनके पिता ने न तो कभी मां को खर्चा दिया और न ही बच्चों की पढ़ाई, परवरिश या संपत्ति में कोई सहयोग किया। “अब जब वह खुद वृद्ध हो गए हैं तो बेटे से खर्चा मांग रहे हैं, जबकि उन्होंने कभी हमारी जिम्मेदारी नहीं निभाई,” अजब सिंह ने कहा।
सोरमबाई अब भी न्याय की उम्मीद में जी रही हैं। यह मामला प्रशासन और समाज के लिए भी एक सवाल है कि जब एक महिला चार दशक से उपेक्षित हो, तो क्या उसे न्याय मिल पाता है?
स्थानीय संवाददाता आई खबर मीडिया की रिपोर्ट