सीमेंट का 50 किलो कट्टा ऐसे उठाते जैसे रुई की पोटली, पढ़ाई नहीं पर हौसले से Coast Guard तक का सफर
कटिहार/रत्नागिरी। बिहार के कटिहार जिले के एक छोटे से गांव बेन्गीटोला से निकलकर महाराष्ट्र के रत्नागिरी तक पहुंचे 20 साल के युवक मोहम्मद नाजिम की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। जन्म 2 सितंबर 2005 को हुआ, पढ़ाई-लिखाई नहीं कर पाए, लेकिन मेहनत और हिम्मत के दम पर आज भारतीय तटरक्षक बल (Coast Guard) में काम कर रहे हैं।
नाजिम बताते हैं कि 2017 में कामकाज शुरू किया था। उस वक्त वह मुश्किल से 12 साल के थे। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, इसलिए स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छूट गई। गांव वालों के मुताबिक नाजिम के अंदर असाधारण ताक़त है। सीमेंट का 50 किलो का कट्टा वह ऐसे उठा लेते हैं जैसे कोई बच्चा रुई की पोटली उठाता हो।
मां के आशीर्वाद और पिता की मेहनत ने दी राह
नाजिम की मां का नाम महबूबा खातून और पिता मोहम्मद मोइनुद्दीन हैं। परिवार खेती-बाड़ी और छोटे-मोटे कामों से गुजर-बसर करता है। नाजिम कहते हैं— “मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं, लेकिन मेहनत करना बचपन से ही सीख लिया। 2020 से मैंने शारीरिक अभ्यास करना शुरू किया और 2021 में पूरी तरह ट्रेनिंग लेकर Coast Guard में भर्ती हो गया।”
गांव से रत्नागिरी तक सफर
कटिहार के बिधौरहाट इलाके से निकलकर नाजिम आज रत्नागिरी, महाराष्ट्र में Coast Guard की जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। यह सफर आसान नहीं था। गांव में संसाधन नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को सीमाओं में बंधने नहीं दिया।
स्थानीय लोग मानते हैं ‘आयरन बॉय’
गांव और रिश्तेदार नाजिम को ‘आयरन बॉय’ कहकर पुकारते हैं। वजह है उनकी अद्भुत ताक़त। कम उम्र के बावजूद उनकी कद-काठी और हिम्मत देखकर लोग दंग रह जाते हैं। जहां बाकी लोग सीमेंट या लोहे के सामान उठाने से कतराते हैं, वहीं नाजिम के लिए यह रोजमर्रा की बात है।
Coast Guard में बने मिसाल
आज नाजिम उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो यह सोचकर अपने सपनों को छोड़ देते हैं कि पढ़ाई नहीं हुई तो जिंदगी रुक जाएगी। नाजिम का कहना है— “मेहनत से बड़ी कोई डिग्री नहीं। अगर ठान लो तो नाम और काम दोनों मिल सकता है।”
कटिहार जैसे पिछड़े इलाके से निकलकर रत्नागिरी तट तक पहुंचे नाजिम की यह कहानी हिम्मत और जज़्बे की मिसाल है।