आज की यह खबर किसी कहानी से नहीं, एक बाप की टूटती उम्मीदों से निकली है।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाले घुरहु राजभर का बेटा जयविंद उर्फ हरी गुरुग्राम में काम करता था। लेकिन 28 फरवरी की रात एक फोन कॉल आता है – ‘आपके बेटे की मौत हो चुकी है।’
अब सोचिए, एक बाप को जब ये सुना दिया जाए कि उसका जवान बेटा अब नहीं रहा… और जब वह सच जानने गुरुग्राम की सेक्टर-93 पुलिस चौकी पहुंचता है, तो वहां उसे आत्महत्या का झूठा बहाना पकड़ा दिया जाता है।
लेकिन घुरहु राजभर चुप नहीं रहे। उन्होंने साफ कहा – मेरा बेटा आत्महत्या नहीं कर सकता।
बेटा पहले ही बता चुका था कि उसकी पत्नी प्रीति का व्यवहार सही नहीं है। और हैरानी की बात ये है कि बेटे की मौत के बाद खुद प्रीति ने परिवार को शव की तस्वीरें भेजी थीं!
लेकिन पुलिस क्या करती है?
ना सिर्फ उन्हें गालियाँ दी गईं, बल्कि कहा गया – “जैसा हम कह रहे हैं वैसा करो वरना जेल में डाल देंगे।”
3 दिन तक उन्हें चौकी बुलाया गया। डराया गया, धमकाया गया और खाली कागजों पर जबरदस्ती अंगूठा लगवाया गया।
दोस्तों, ये कैसा न्याय है?
एक पिता अपने बेटे की लाश के लिए रो रहा है और पुलिस चौकी में उसे ही पीटा जा रहा है!
4 मार्च को जब वह फिर चौकी गए, तो बेटे की पत्नी और उसकी माँ पहले से वहां मौजूद थीं – और फिर से वही दुर्व्यवहार, वही गालियाँ।
यहाँ तक कि चौकी इंचार्ज कहता है – “वकील जज कोई नहीं बचेगा, हमसे ऊपर कोई नहीं।”
अब सवाल ये है – क्या गुरुग्राम की पुलिस इस कदर निरंकुश हो गई है?
क्या एक ग्रिविंग फादर को सच्चाई जानने का भी हक नहीं?
क्या बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार लोग ऐसे ही खुलेआम घूमते रहेंगे?
घुरहु राजभर ने डीसीपी वेस्ट को शिकायत दी है और इंसाफ की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री हरियाणा और पुलिस कमिश्नर को भी अपनी बात पहुंचाई है।
अब देखना ये है कि क्या उन्हें न्याय मिलेगा, या उनकी आवाज भी बाकी शिकायतों की तरह फाइलों में दबा दी जाएगी।
अगर आप चाहते हैं कि ऐसे मामलों में न्याय हो – तो इस वीडियो को शेयर करें, कमेंट करें और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।
हम फिर लौटेंगे एक और सच्ची खबर के साथ।
गुरुग्राम में युवक की संदिग्ध मौत: पिता ने हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस पर मारपीट और धमकी देने का लगाया आरोप
गुरुग्राम/आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाले घुरहु राजभर ने अपने पुत्र जयविंद उर्फ हरी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर गुरुग्राम पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने डीसीपी वेस्ट, गुरुग्राम को शिकायत पत्र देकर कहा कि उनके बेटे की हत्या की गई है, लेकिन पुलिस चौकी सेक्टर-93 के इंचार्ज ने मामले को आत्महत्या बता कर रफा-दफा करने की कोशिश की।
घुरहु राजभर के अनुसार, उन्हें 28 फरवरी की रात लगभग 10 बजे आजमगढ़ के एक ठेकेदार अशोक राजभर ने सूचना दी कि उनका बेटा जयविंद अब इस दुनिया में नहीं रहा। जब वे 2 मार्च को अपने परिजनों के साथ सेक्टर-93 पुलिस चौकी पहुंचे, तो चौकी इंचार्ज ने बताया कि जयविंद ने आत्महत्या की है और शव को देखने के लिए कहा।
पिता का आरोप है कि उनका बेटा आत्महत्या नहीं कर सकता, क्योंकि वह पहले भी पत्नी प्रीति के व्यवहार को लेकर परेशान था। जब उन्होंने इस बात को चौकी इंचार्ज से कहा तो उन्होंने गालियाँ देते हुए धमकी दी कि अगर पुलिस की बात नहीं मानी तो झूठे केस में फंसा देंगे।
पीड़ित पिता ने यह भी आरोप लगाया कि 3 मार्च को चौकी बुलाकर जबरन सादे कागजों पर अंगूठा और हस्ताक्षर करवाया गया और फिर से धमकाया गया कि अगर किसी से कुछ कहा तो बुरा अंजाम भुगतना पड़ेगा। 4 मार्च को जब वह फिर चौकी पहुंचे तो उनकी मृत बेटे की पत्नी प्रीति और उसकी मां भी वहां मौजूद थीं। वहां उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए पुलिस ने फिर से मारपीट और गाली-गलौज की।
शिकायत में कहा गया है कि चौकी इंचार्ज ने उन्हें लाश लेने के बहाने पोस्टमार्टम हाउस भेजने की कोशिश की, लेकिन वे डरकर वहां से भाग निकले। इसके बाद उन्हें बार-बार मोबाइल नंबर 9467213372 से धमकी भरे कॉल किए गए।
पीड़ित ने डीसीपी वेस्ट से आग्रह किया है कि उनकी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर चौकी इंचार्ज और अन्य आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही बेटे जयविंद की मौत के पीछे शामिल पत्नी प्रीति, पड़ोसी रमाशंकर और एक अज्ञात युवक की भूमिका की जांच कर न्याय दिलाया जाए।
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने उनका नंबर भी ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है और कोई कार्यवाही नहीं की जा रही उन्होंने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से लगाई इंसाफ की गुहार।