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भाइयों का कहर: जमीन पर कब्जा कर किया जानलेवा हमला, झोपड़ी में रहने को मजबूर दिनेश मिश्रा ने थाने में लगाई न्याय की गुहार

भाईयों ने मिलकर की मारपीट, पीड़ित ने थाने में लगाई न्याय की गुहार
ग्राम भदेदु, थाना सरधुवा, जनपद पिबइट की घटना

ग्राम भदेदु निवासी दिनेश मिश्रा ने अपने सगे भाइयों ज्ञान प्रकाश उर्फ नाथू, नंदू और दो बहने हैं जिनकी शादी हो चुकी है मेरे पिता का नाम इन्द्रनारायण मिश्रा है दिनेश मिश्रा ने अपने सगे भाइयों पर जबरन जमीन पर कब्जा कर मकान बनाने और जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया है। पीड़ित के अनुसार, जब उसने विरोध किया तो तीनों ने मिलकर उस पर लोहे की भारी फरसी से हमला कर दिया, जो सिर पर लगने ही वाला था पर वह बाल-बाल बच गया।

किसी तरह जान बचाकर दिनेश मिश्रा थाना सरधुवा पहुंचे और लिखित शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने मांग की है कि आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और अवैध निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए। साथ ही, अपनी जान-माल की सुरक्षा की भी गुहार लगाई है।

सचिव और प्रधान की लापरवाही से बेघर दिनेश मिश्रा, दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर
दिनेश मिश्रा ने जिलाधिकारी राजापुर, चित्रकूट को भेजे शिकायती पत्र में गांव के सचिव और प्रधान की घोर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि 40 सालों से वे जीवन की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। न आवास मिला, न कोई सरकारी सहायता। उन्होंने बताया कि बचपन में 12 साल की उम्र से ही परदेस में रहकर मेहनत की, लेकिन भाइयों ने कभी पढ़ाया-लिखाया नहीं, न ही साथ दिया।

अब जब वे घर लौटे हैं, तो भाइयों ने खर्च देना बंद कर दिया और उन्हें बेसहारा घोषित कर दिया। दिनेश मिश्रा ने रोते हुए कहा, “अब कहते हैं कि तू अनाथ है। अगर मैं अनाथ होता तो कभी तो किसी ने पूछा होता। आज मैं झोपड़ी में रह रहा हूं, जहां रात में कोई भी आकर मुझे मार सकता है।”

पीड़ित ने झोपड़ी की वीडियो भी साक्ष्य के तौर पर प्रशासन को भेजी है, जिसमें उनकी बदहाली साफ नजर आती है।

दिनेश मिश्रा ने जिला प्रशासन से निवेदन किया है कि उन्हें जल्द से जल्द सरकारी आवास दिया जाए और उनके साथ हो रहे अन्याय की उच्चस्तरीय जांच हो। उन्होंने कहा, “मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस इंसाफ चाहिए।”

क्या है मामला

भाइयों का कहर: जमीन पर कब्जा कर किया जानलेवा हमला, झोपड़ी में रहने को मजबूर दिनेश मिश्रा ने थाने में लगाई न्याय की गुहार

स्थान: ग्राम भदेदु, थाना सरधुवा, जनपद पिबइट

गांव-गांव में भाईचारे की मिसालें दी जाती हैं, लेकिन ग्राम भदेदु निवासी दिनेश मिश्रा की कहानी दिल दहला देने वाली है। जहां सगे भाइयों ने ही न केवल उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया, बल्कि विरोध करने पर जानलेवा हमला भी कर डाला। यह मामला न सिर्फ पारिवारिक कलह का जीता-जागता उदाहरण है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता और सामाजिक संवेदनहीनता का भी काला चेहरा उजागर करता है।

पीड़ित दिनेश मिश्रा ने बताया कि उनके सगे भाई ज्ञान प्रकाश उर्फ नाथू और नंदू, पिता इन्द्रनारायण मिश्रा, बहनों की शादी हो चुकी है, लेकिन आज वही भाई जिन्होंने बचपन में साथ खेला था, अब उनकी जिंदगी को नर्क बना रहे हैं। आरोप है कि ये लोग मिलकर दिनेश मिश्रा की पैतृक जमीन पर जबरन मकान निर्माण कर रहे थे। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो नाथू और नंदू ने लोहे की भारी फरसी से उन पर हमला बोल दिया। फरसी सिर पर लगने ही वाली थी, लेकिन दिनेश किसी तरह बच निकले और दौड़कर थाना सरधुवा पहुंचे।

दिनेश मिश्रा ने थाने में दी गई शिकायत में साफ-साफ कहा है कि उन्हें और उनकी जमीन को बचाया जाए, वरना किसी दिन उनकी जान भी जा सकती है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि जबरन हो रहा निर्माण तुरंत रोका जाए और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो।

40 साल का संघर्ष: न आवास, न सहारा… झोपड़ी में कट रही जिंदगी

इतना ही नहीं, दिनेश मिश्रा की जिंदगी का दूसरा पहलू और भी दर्दनाक है। उन्होंने जिलाधिकारी राजापुर, चित्रकूट को भेजे गए शिकायती पत्र में गांव के सचिव और प्रधान पर गहरी लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वे बीते 40 सालों से सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। न उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कोई छत मिली, न राशन की पक्की व्यवस्था।

उन्होंने बताया कि जब वे 12 साल के थे, तभी से परदेस में मजदूरी कर रहे थे। भाइयों ने कभी पढ़ाया-लिखाया नहीं, न ही संपर्क रखा। अब जब वे वापस अपने गांव लौटे हैं, तो वही भाई उन्हें ‘अनाथ’ कहकर किनारे कर चुके हैं।

“आज मैं झोपड़ी में रहता हूं। कोई भी आकर मुझे मार सकता है। मेरे पास न छत है, न सुरक्षा। झोपड़ी की वीडियो प्रशासन को भेज चुका हूं। अगर यही जिंदगी है तो इसे जीना बोझ बन गया है,” दिनेश मिश्रा की ये बातें किसी भी संवेदनशील दिल को हिला सकती हैं।

प्रशासन से न्याय की मांग

दिनेश मिश्रा ने साफ कहा है – “मैं कोई भीख नहीं मांग रहा। मैं सिर्फ अपना हक मांग रहा हूं। जो जमीन मेरी है, वो मुझे वापस मिले। मुझे रहने के लिए छत मिले। मेरी जान की रक्षा की जाए। मुझे कुछ नहीं चाहिए, सिर्फ इंसाफ चाहिए।”

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